Report: सरसों की फसल से बदलेगा रबी का गणित, 77 लाख हेक्टेयर के पार पहुंचा रकबा
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े कृषि राज्यों में सरसों की खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है. इन राज्यों में मौसम अब तक अनुकूल बना हुआ है और मिट्टी में पर्याप्त नमी होने से फसल की बढ़वार भी अच्छी दिखाई दे रही है.
देश में इस बार रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही खेती का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है. खासतौर पर सरसों की खेती को लेकर किसानों में नया उत्साह दिखाई दे रहा है. महंगे डीजल, खाद और बीज की बढ़ती लागत के बीच किसान ऐसी फसल चुनना चाहते हैं, जिसमें जोखिम कम हो और बाजार में दाम भी ठीक मिलें. इसी वजह से इस साल सरसों की बुवाई में जोरदार बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आंकड़े बताते हैं कि किसानों ने पहले के मुकाबले ज्यादा भरोसा इस तिलहन फसल पर जताया है.
सरसों का रकबा 6 प्रतिशत बढ़ा, 77 लाख हेक्टेयर के पार
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के मुताबिक 30 नवंबर तक देशभर में सरसों की बुवाई का कुल रकबा करीब 77.06 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यह पिछले साल की तुलना में लगभग 6 प्रतिशत अधिक है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बढ़ोतरी बताती है कि किसान अब पारंपरिक अनाज के साथ-साथ तिलहन फसलों को भी गंभीरता से अपना रहे हैं. खासकर सरसों, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार दे सकती है, किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है.
प्रमुख राज्यों में तेजी से बढ़ी बुवाई
रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े कृषि राज्यों में सरसों की खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है. इन राज्यों में मौसम अब तक अनुकूल बना हुआ है और मिट्टी में पर्याप्त नमी होने से फसल की बढ़वार भी अच्छी दिखाई दे रही है. खेतों में सरसों की फसल हरी-भरी नजर आ रही है, जिससे किसानों को बेहतर पैदावार की उम्मीद बंधी है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आगे भी मौसम इसी तरह संतुलित रहा, तो इस साल सरसों का उत्पादन संतोषजनक रह सकता है.
मॉडल फार्म से किसानों को मिल रही नई तकनीक
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, सरसों की पैदावार को और बेहतर बनाने के लिए एसोसिएशन की ओर से राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में करीब 3,000 मॉडल फार्म चलाए जा रहे हैं. इन फार्मों के जरिए किसानों को उन्नत बीज, सही समय पर बुवाई, संतुलित खाद प्रबंधन और कीट नियंत्रण की आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जा रही है. इससे न सिर्फ लागत कम करने में मदद मिल रही है, बल्कि प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है. किसान अब वैज्ञानिक तरीके से खेती को अपनाने लगे हैं, जिसका सीधा फायदा उन्हें मिल सकता है.
अरंडी की खेती में भी दिखा सकारात्मक रुझान
सरसों के साथ-साथ अरंडी की खेती में भी इस साल बढ़ोतरी दर्ज की गई है. गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अरंडी की बुवाई का कुल रकबा बढ़कर 9.09 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल से करीब 6 प्रतिशत ज्यादा है. खासकर गुजरात और राजस्थान में किसानों ने अरंडी की खेती में रुचि दिखाई है. फिलहाल फसल की स्थिति सामान्य बताई जा रही है और मौसम अनुकूल रहा तो इससे भी किसानों को अच्छी आमदनी मिलने की उम्मीद है.
सरकार का तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर फोकस
देश में खाने के तेल की बढ़ती जरूरत और आयात पर निर्भरता को देखते हुए केंद्र सरकार भी तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर खास जोर दे रही है. इसी दिशा में ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल–तिलहन मिशन’ चलाया जा रहा है. इस मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक देश में तिलहन उत्पादन को 69.7 मिलियन टन तक पहुंचाना है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह लक्ष्य हासिल होता है, तो इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि देश का विदेशी मुद्रा खर्च भी घटेगा.
तेल बाजार में पारदर्शिता की मांग
तिलहन उद्योग से जुड़े संगठनों ने सरकार से खाने के तेल की पैकिंग को लेकर भी स्पष्ट नियम बनाने की मांग की है. उनका कहना है कि तेल के पैकेट पर मात्रा को साफ और प्रमुख रूप से लिखा जाना चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को सही जानकारी मिल सके. इससे बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं का भरोसा भी मजबूत होगा.
किसानों के लिए बन सकती है फायदेमंद फसल
कुल मिलाकर इस साल सरसों की खेती की बढ़ती रफ्तार यह संकेत दे रही है कि किसान अब बदलते हालात के अनुसार अपनी खेती की रणनीति तय कर रहे हैं. अगर मौसम साथ देता है और बाजार में उचित दाम मिलते हैं, तो सरसों इस रबी सीजन में किसानों के लिए मुनाफे की फसल साबित हो सकती है.