अब बंजर खेत भी देंगे सोना! तेजी से बढ़ने वाली इस सब्जी से किसान कर रहे रिकॉर्ड कमाई
भिंडी की फसल खास तौर पर उन किसानों के लिए वरदान है जिनके पास सीमित संसाधन और कम उपजाऊ जमीन है. इसकी खेती में लागत बहुत कम आती है जबकि पैदावार और मुनाफा दोनों काफी अच्छे होते हैं. एक बार बीज बोने के बाद यह फसल लगभग 50 से 60 दिनों में बाजार के लिए तैयार हो जाती है.
Farming Tips: भिंडी यानी लेडी फिंगर भारतीय सब्जी बाजार की सबसे लोकप्रिय फसलों में से एक है. गर्मियों और बरसात दोनों मौसम में इसकी मांग लगातार बनी रहती है. यही वजह है कि आज भिंडी की खेती किसानों के लिए मुनाफे का बढ़िया जरिया बन गई है. खास बात यह है कि भिंडी की कई नई किस्में अब ऐसी विकसित हो चुकी हैं जो कम उपजाऊ या बंजर जमीन पर भी शानदार उत्पादन देती हैं. नवंबर में बोई गई भिंडी की बाजार में कीमतें अधिक मिलती हैं, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ होता है.
कम लागत और जल्दी फसल
भिंडी की फसल खास तौर पर उन किसानों के लिए वरदान है जिनके पास सीमित संसाधन और कम उपजाऊ जमीन है. इसकी खेती में लागत बहुत कम आती है जबकि पैदावार और मुनाफा दोनों काफी अच्छे होते हैं. एक बार बीज बोने के बाद यह फसल लगभग 50 से 60 दिनों में बाजार के लिए तैयार हो जाती है. यानी सिर्फ डेढ़ से दो महीने में किसान अपनी मेहनत का फल कमा सकते हैं.
इस फसल के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर होती है. मिट्टी तैयार करते समय उसमें गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाना जरूरी है, जिससे पौधे को पोषण मिलता है और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है.
‘परभनी क्रांति’ किस्म
भिंडी की परभनी क्रांति किस्म व्यावसायिक खेती के लिए सबसे लोकप्रिय मानी जाती है. यह किस्म पीले मोजेक वायरस जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधक है और इसमें फसल की गुणवत्ता बेहद अच्छी होती है. इसके फल 15 से 18 सेंटीमीटर लंबे, गहरे हरे और बेहद मुलायम होते हैं.
इस किस्म की फसल 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है और किसान प्रति हेक्टेयर 9 से 12 टन तक की उपज ले सकते हैं. अच्छी मांग के कारण यह बाजार में जल्दी बिक जाती है और किसानों को लाखों रुपये का मुनाफा देती है.
‘पूसा ए-4’ किस्म
भिंडी की दूसरी चर्चित किस्म है पूसा ए-4, जो जल्दी पकने वाली और रोग प्रतिरोधक फसल मानी जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए. एक हेक्टेयर खेत के लिए लगभग 8 से 10 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है.
बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करने से पौधों की वृद्धि तेजी से होती है. इसकी फसल भी सिर्फ 50 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. अच्छी देखभाल और सिंचाई के साथ किसान इससे प्रति हेक्टेयर 10 टन तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
मुनाफे का नया रास्ता
भिंडी की खेती को किसान अपनी खाली या बंजर जमीन पर भी शुरू कर सकते हैं. इसके पौधे गर्म और शुष्क मौसम में आसानी से पनप जाते हैं और पानी की भी बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती. भिंडी की बाजार में सालभर मांग बनी रहती है, चाहे वह घरेलू उपयोग हो या होटल और रेस्टोरेंट की सप्लाई.
इसलिए जो किसान कम लागत में तेज मुनाफा चाहते हैं, उनके लिए भिंडी की खेती एक सुनहरा विकल्प है. परभनी क्रांति और पूसा ए-4 जैसी किस्मों ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और सही तकनीक से बंजर खेत भी सोना उगल सकते हैं.