भिंडी यानी लेडी फिंगर, हर भारतीय रसोई की शान है. लेकिन किसान जानते हैं कि इसे उगाना जितना आसान लगता है, उतनी ही मुश्किलें भी हैं, सबसे बड़ी समस्या है फल छेदक कीट (Fruit Borer). ये कीट भिंडी के फल में छेद करके उसे अंदर से खा जाते हैं, जिससे फसल का उत्पादन कम हो जाता है और किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. तो आइए जानते हैं कैसे आप फल छेदक की पहचान, रोकथाम और नियंत्रण कर सकते हैं, वो भी प्राकृतिक और आधुनिक दोनों तरीकों से.
फल छेदक कीट कौन हैं और कैसे नुकसान करते हैं?
भिंडी में मुख्य रूप से दो प्रकार के फल छेदक पाए जाते हैं Earias spp. और Helicoverpa spp. इनके मादा कीट भिंडी के फूलों या फलों पर अंडे देती हैं, और जब उनसे कीड़े निकलते हैं, तो वे सीधे फल के अंदर घुसकर उसका गूदा खाना शुरू कर देते हैं. इससे फल टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है, पीला पड़ता है या गल जाता है और बाजार में बेचना मुश्किल हो जाता है.
रोकथाम के आसान उपाय
1. फसल चक्र अपनाएं
हर बार एक ही खेत में भिंडी या इसी जैसी फसलें लगाने से कीटों का चक्र नहीं टूटता. इसलिए एक सीजन बाद दूसरी फसल लें.
2. ताकतवर किस्में लगाएं
ऐसी भिंडी की किस्में चुनें जो कीटों और बीमारियों के प्रति सहनशील हों, जैसे हाइब्रिड किस्में.
3. संक्रमित फल हटाएं
भिंडी के ऐसे फल जो छेदे हुए हों या सड़ गए हों, उन्हें तुरंत खेत से हटा दें और नष्ट कर दें.
4. फेरोमोन ट्रैप लगाएं
ये खास जाल होते हैं जो नर कीटों को आकर्षित करते हैं, जिससे मादा से उनका मिलन नहीं होता और कीटों की संख्या कम हो जाती है.
खेती के तौर-तरीकों में बदलाव से भी राहत
समय पर बोआई करें
भिंडी देर से लगाने पर युवा पौधे कीटों का आसान शिकार बनते हैं. इसलिए सीजन की शुरुआत में ही बोआई करें.
पौधों के बीच उचित दूरी रखें
इससे हवा का संचार बेहतर होता है और नमी कम होती है, जो कीटों को पसंद नहीं.
नियमित निगरानी करें
हर दो-तीन दिन पर भिंडी की पत्तियों, फूलों और फलों का निरीक्षण करें खासकर पत्तियों की निचली सतह को.
जैविक नियंत्रण
प्राकृतिक दुश्मनों को बढ़ावा दें
जैसे लेडी बर्ड, लेसविंग, और परजीवी ततैया. खेत के किनारों पर फूलदार पौधे लगाएं ताकि ये मित्र कीट टिके रहें.
बैक्टीरिया का उपयोग करें
BT- Bacillus thuringiensis ये एक प्राकृतिक जैविक कीटनाशक है जो खासतौर पर फल छेदक कीटों को मारता है लेकिन फसल और अन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाता.
रासायनिक नियंत्रण
आवश्यकता होने पर कीटनाशक का प्रयोग करें
जब कीटों की संख्या बहुत बढ़ जाए, तभी विवेकपूर्ण कीटनाशकों का प्रयोग करें, स्थानीय कृषि अधिकारी या वैज्ञानिक की सलाह से.
समेकित कीट प्रबंधन अपनाएं
IPM यानी Integrated Pest Management में कीटनाशकों का कम से कम उपयोग किया जाता है और जैविक व सांस्कृतिक तरीकों को प्राथमिकता दी जाती है.