कैसे बना आलू का कंद? वैज्ञानिकों को मिले 90 लाख साल पुराने चौंकाने वाले सबूत
आपको जानकर हैरानी होगी कि आलू और टमाटर दोनों एक ही परिवार से हैं- नाइटशेड फैमिली. टमाटर जहां फल देता है, वहीं आलू अपनी खासियत की वजह से कंद यानी ट्यूबर बनाता है. और इसी ट्यूबर की वजह से वो ठंडे और सूखे इलाकों में भी जिंदा रह सका.
हम भारतीयों के लिए आलू सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि रोज की थाली का हीरो है सब्जियों में जान भरने वाला, हर घर में मौजूद और हर उम्र का पसंदीदा. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ये जमीन के नीचे छुपा ये छोटा-सा कंद (tuber) आखिर बना कैसे? इसका जवाब अब वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला है और वो भी 90 लाख साल पुराने इतिहास में जाकर.
कैसे हुआ आलू का जन्म?
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, एक नई वैज्ञानिक रिसर्च में बताया गया कि, आज से करीब 90 लाख साल पहले दक्षिण अमेरिका में एक जंगली टमाटर और एक आलू जैसे दिखने वाले पौधे के बीच स्वाभाविक रूप से क्रॉस-ब्रीडिंग हुई. इस प्राकृतिक मेल से एक नई पौध प्रजाति बनी और वहीं से शुरू हुई आलू की असली कहानी. ये अध्ययन जर्नल ‘Cell’ में प्रकाशित हुआ है, जिसमें 500 से ज्यादा पौधों की जीनोम स्टडी की गई है.
टमाटर और आलू में क्या रिश्ता?
आपको जानकर हैरानी होगी कि आलू और टमाटर दोनों एक ही परिवार से हैं- नाइटशेड फैमिली. टमाटर जहां फल देता है, वहीं आलू अपनी खासियत की वजह से कंद यानी ट्यूबर बनाता है. और इसी ट्यूबर की वजह से वो ठंडे और सूखे इलाकों में भी जिंदा रह सका.
इस शोध में पता चला कि दो जंगली पौधों की ‘प्राकृतिक संतान’ बनने से वह विशेष जीन एक्टिव हुआ, जिससे पौधे ने जमीन के नीचे पोषण स्टोर करने वाला कंद विकसित करना शुरू कर दिया.
कंद ने कैसे बचाया आलू को?
जब दक्षिण अमेरिका की एंडीज पर्वतमाला में ऊंचाई बढ़ी और मौसम कठोर होता गया, तब एक नए पौधे ने खुद को बचाने के लिए अनोखा तरीका अपनाया उसने कंद विकसित किया. यह कंद न केवल जमीन के भीतर ठंड से सुरक्षा देता है, बल्कि पोषक तत्व भी संचित करता है और बिना बीज के भी नई पौध तैयार कर देता है. ऐसे में जब बाकी पौधे सर्दी में नष्ट हो गए, यह नया पौधा जिसे हम आज “आलू” के नाम से जानते हैं तेजी से फैला और धीरे-धीरे पूरी दुनिया में अपनी जगह बना ली.
कौन-कौन से पौधे बने थे माता-पिता?
आधुनिक आलू, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Solanum tuberosum कहा जाता है, असल में दो अलग-अलग पौधों की अनोखी संगति का परिणाम है. पहला था Etuberosum एक आलू जैसा पौधा जो आज भी पेरू में पाया जाता है, लेकिन उसमें कंद नहीं बनते. दूसरा था एक जंगली टमाटर का पौधा. माना जाता है कि इन दोनों का साझा पूर्वज लगभग 1.4 करोड़ साल पहले धरती पर था. फिर करीब 50 लाख साल बाद, प्रकृति ने एक बार फिर इन्हें मिलाया और तभी जन्म हुआ उस पौधे का, जिसे हम आज “आधुनिक आलू” के रूप में जानते हैं, एक ऐसा चमत्कार जिसने दुनिया की खाद्य व्यवस्था में क्रांति ला दी.
क्या है इस खोज का फायदा?
आज आलू चावल और गेहूं के बाद तीसरा सबसे जरूरी खाद्य फसल है. दुनिया में करीब 5000 से ज्यादा किस्में मौजूद हैं, और चीन सबसे बड़ा उत्पादक है. इस शोध से अब वैज्ञानिक नए, और भी बेहतर आलू बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं जो कम पानी में उगे, गर्मी-सर्दी झेले और बीमारियों से बचें, यहां तक कि भविष्य में ऐसा पौधा भी बन सकता है जिसके ऊपर टमाटर लगे और नीचे आलू.
आलू बनाम टमाटर-कितना अलग, कितना एक?
अगर आपने कभी आलू के पौधे को फल लगते देखा है, तो आपको वो छोटे हरे टमाटर जैसे दिखेंगे. लेकिन उन्हें खाना नहीं चाहिए, क्योंकि वो जहरीले हो सकते हैं. हालांकि हम दोनों पौधों के अलग हिस्से खाते हैं, टमाटर का फल और आलू का कंद, इनके फूल, पत्ते और जड़ें काफी हद तक एक जैसी होती हैं.
तो अगली बार जब आप आलू की सब्जी खाएं, तो ध्यान रखें, आपके थाली में रखा यह आलू सिर्फ सब्जी नहीं, बल्कि 90 लाख साल पुराना एक अनोखा प्राकृतिक प्रयोग है, जिसमें विज्ञान, प्रकृति और इतिहास तीनों का मेल है.