बिहार में बागवानी और कृषि क्षेत्र में नयी उम्मीद जगाते हुए, सचिव कृषि विभाग संजय कुमार अग्रवाल ने आज पटना के कृषि अनुसंधान संस्थान का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने दीघा के प्रसिद्ध दुधिया मालदह आम को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया की प्रगति का जायजा लिया और इस अनूठे आम के दूसरे जिलों में भी विस्तार के प्रयासों का समर्थन किया. यह कदम न सिर्फ इस खास प्रजाति के संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि किसानों को बेहतर उत्पादन और आमदनी का अवसर भी प्रदान करेगा.
दुधिया मालदह आम को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान
सचिव कृषि संजय कुमार अग्रवाल ने दुधिया मालदह आम की विशिष्टता को देखते हुए इसकी क्वालिटी, मातृ वृक्ष और उत्पादन प्रणाली का गहराई से निरीक्षण किया. उन्होंने इस आम को GI (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग दिलाने की प्रक्रिया की ताजा जानकारी हासिल की, जो इस आम को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान दिलाएगा. GI टैग से यह आम अपने क्षेत्र विशेष के साथ जुड़ा रहेगा और इसका संरक्षण सुनिश्चित होगा. इस अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद भी मौजूद थे, जिन्होंने संस्थान परिसर में दुधिया मालदह के पौधे का रोपण कर इस पहल को समर्थन दिया.
दूसरे जिलों में होगा मालदह का विस्तार
सचिव कृषि ने यह भी बताया कि दीघा के दुधिया मालदह आम को केवल पटना तक सीमित नहीं रखा जाएगा. इस खास आम का रोपण बिहार के अन्य जिलों में भी किया जाएगा. इसके लिए प्रत्येक जिले को उद्यान निदेशालय के माध्यम से 200-200 पौधे भेजे जाएंगे. यह योजना न केवल दुधिया मालदह के संरक्षण के लिए जरूरी है, बल्कि इससे किसानों को उच्च क्वालिटी वाले फल उगाने का लाभ मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.
पौध उत्पादन और बिक्री में बढ़ोतरी
संस्थान द्वारा इस वर्ष तैयार किए गए पौधों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. 5 हजार दुधिया मालदह के पौधे तैयार हैं, जिनकी बिक्री जुलाई के पहले सप्ताह से 80 से 100 रुपये प्रति पौधा की दर से की जाएगी. इसके अलावा जर्दालु, आम्रपाली, दशहरी आम, अमरूद, कटहल और नींबू के भी हजारों पौधे तैयार किए गए हैं. यह उपलब्धता किसानों को ज्यादा विकल्प और बेहतर फसल उत्पादन के लिए मददगार साबित होगी.
आधुनिक तकनीक और नवाचार का अवलोकन
सचिव कृषि ने संस्थान की अन्य गतिविधियों का भी निरीक्षण किया, जिनमें कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र, आधुनिक नर्सरी, औषधीय एवं सुगंधित पौधों का कैफेटेरिया, वर्मी कम्पोस्ट इकाई और हर्बल होम शो-केस शामिल हैं. उन्होंने इन सभी नई तकनीकों की प्रशंसा की और सुझाव दिए कि इन्हें और विस्तार दिया जाए ताकि कृषि क्षेत्र में और अधिक विकास हो सके.
महिला किसानों और युवाओं के लिए प्रशिक्षण योजना
सचीव संजय कुमार अग्रवाल ने संस्थान को निर्देश दिया कि वह आसपास के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की महिला किसानों और युवाओं को नियमित प्रशिक्षण प्रदान करे. यह प्रशिक्षण वर्मी कम्पोस्ट, मशरूम उत्पादन, नर्सरी प्रबंधन जैसे विषयों पर होगा. इससे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर उद्यमी बन सकेंगे और नए अवसरों का लाभ उठा सकेंगे.