PM ग्राम सड़क योजना से बदली ग्रामीण भारत की तस्वीर, 2014–25 में रिकॉर्ड सड़क निर्माण

PM ग्राम सड़क योजना के तहत 2014 से 2025 के बीच करीब 80,250 सड़कों का निर्माण किया गया, जिनकी कुल लंबाई 3.97 लाख किलोमीटर से अधिक है. इसके साथ ही 9,200 से ज्यादा पुलों का भी निर्माण हुआ. इस अवधि में सड़क निर्माण की औसत गति करीब 99 किलोमीटर प्रतिदिन रही, जो पहले के मुकाबले तेज है.

नई दिल्ली | Published: 13 Dec, 2025 | 11:30 AM

PM Gram Sadak Yojana: भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले करोड़ों लोगों के जीवन में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ने सबसे ठोस और स्थाई बदलाव किया है. साल 2014 के बाद इस योजना के तहत न सिर्फ सड़कों का जाल नहीं बिछाया गया है, बल्कि गांवों को बाजार, स्कूल, अस्पताल और रोज़गार से जोड़ा गया. 2014 से 2025 के बीच इस योजना के तहत जो काम हुआ, उसने ग्रामीण भारत की तस्वीर को जमीन पर बदल दिया.

PIB की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में ग्रामीण सड़कों के निर्माण और सुधार पर कुल 2.27 लाख करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया, जो 2004–2014 के मुकाबले लगभग दोगुना है. इससे साफ है कि ग्रामीण कनेक्टिविटी को राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकता बनाया गया.

2014–25 में तेज हुई सड़क निर्माण की रफ्तार

PM ग्राम सड़क योजना के तहत 2014 से 2025 के बीच करीब 80,250 सड़कों का निर्माण किया गया, जिनकी कुल लंबाई 3.97 लाख किलोमीटर से अधिक है. इसके साथ ही 9,200 से ज्यादा पुलों का भी निर्माण हुआ.

इस अवधि में सड़क निर्माण की औसत गति करीब 99 किलोमीटर प्रतिदिन रही, जो पहले के मुकाबले तेज है. इससे न सिर्फ समय पर परियोजनाएं पूरी हुईं, बल्कि राज्यों की कार्यक्षमता और निगरानी व्यवस्था में भी सुधार देखने को मिला.

पहाड़ी और सीमावर्ती राज्यों पर खास फोकस

2014 के बाद PM ग्राम सड़क योजना का सबसे बड़ा बदलाव यह रहा कि दुर्गम, पहाड़ी और सीमावर्ती राज्यों को विशेष प्राथमिकता दी गई. उत्तराखंड में जहां पहले करीब 3,700 किलोमीटर सड़कें बनी थीं, वहीं 2014–25 के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 17,000 किलोमीटर से अधिक पहुंच गया.

जम्मू-कश्मीर में सड़क लंबाई चार गुना से ज्यादा बढ़ी, जबकि अरुणाचल प्रदेश जैसे दुर्गम राज्य में ग्रामीण सड़क नेटवर्क में ऐतिहासिक विस्तार हुआ. पूर्वोत्तर भारत भी इस बदलाव का बड़ा उदाहरण है. मेघालय, मणिपुर, सिक्किम और मिजोरम जैसे राज्यों में सड़क निर्माण ने गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई.

बिहार और समस्तीपुर की बदली तस्वीर

बिहार में PM ग्राम सड़क योजना ने ग्रामीण इलाकों में विकास की रफ्तार को नई दिशा दी. 2014–25 के दौरान राज्य में 10,800 से ज्यादा सड़कें बनीं और 33,000 किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण हुआ.

खासतौर पर समस्तीपुर जिला इस बदलाव का जीवंत उदाहरण है. यहां 2014–25 के दौरान सड़क परियोजनाओं की संख्या लगभग दोगुनी हुई, सड़क लंबाई में बड़ा इजाफा हुआ और खर्च भी कई गुना बढ़ा. इससे किसानों को मंडी तक पहुंच आसान हुई, बच्चों को स्कूल और मरीजों को अस्पताल तक समय पर पहुंचने में मदद मिली.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फायदा

PM ग्राम सड़क योजना का असर केवल आवागमन तक सीमित नहीं रहा. बेहतर सड़कों से कृषि उत्पादों की ढुलाई आसान हुई, फसल बर्बादी घटी और किसानों को बेहतर दाम मिलने लगे.

इसी संदर्भ में Shri Ram Nath Thakur, Hon’ble Minister of State for Agriculture and Farmers Welfare ने भी कई अवसरों पर यह रेखांकित किया है कि ग्रामीण सड़कों का मजबूत नेटवर्क किसानों की आय बढ़ाने, बाजार तक सीधी पहुंच और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभा रहा है.

गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार पहुंचा

नई सड़कों ने गांवों में स्कूलों की मौजूदगी, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और रोज़गार के अवसरों को बढ़ाया है. एम्बुलेंस, बस और अन्य सेवाएं अब उन गांवों तक पहुंच रही हैं, जो पहले बरसात में महीनों तक कट जाते थे.

ग्रामीण भारत की रीढ़ बनी सड़क योजना

कुल मिलाकर, 2014 से 2025 के बीच PM ग्राम सड़क योजना ने ग्रामीण भारत को एक नई दिशा दी है. बढ़ता निवेश, तेज़ निर्माण, दुर्गम इलाकों पर फोकस और राज्यों की बेहतर भागीदारी ने इसे सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की रीढ़ बना दिया है.

आने वाले वर्षों में जब आत्मनिर्भर गांव और मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बात होगी, तो PM ग्राम सड़क योजना का यह सफर एक मजबूत आधार के रूप में याद किया जाएगा.

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