पंजाब की मंडियों में बारिश से धान खराब, नहीं मिल रहे खरीदार, किसानों को करना पड़ रहा है ये काम?

प्रदेश में अब तक मंडियों में लगभग 9.68 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है. बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचाया और नमी की मात्रा बढ़ जाने के कारण किसान मजबूर होकर धान को सुखाने में जुट गए हैं.

नई दिल्ली | Published: 9 Oct, 2025 | 09:48 AM

Punjab Paddy: पंजाब की मंडियों में हाल ही में हुई लगातार बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. धान की फसल नमी के कारण भीग गई है और अब खरीदार मंडियों में धान लेने से कतराने लगे हैं. किसानों ने फसल को बचाने और सही कीमत पाने के लिए धान सुखाने का काम शुरू कर दिया है. वहीं, बारिश के कारण कटाई की रफ्तार भी प्रभावित हुई है.

मंडियों में धान की आवक और खरीद

प्रदेश में अब तक मंडियों में लगभग 9.68 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है. बारिश ने फसल को नुकसान पहुंचाया और नमी की मात्रा बढ़ जाने के कारण किसान मजबूर होकर धान को सुखाने में जुट गए हैं. अगले पांच-छह दिन में मौसम साफ होने और नमी कम होने पर ही कटाई फिर से तेजी से शुरू हो सकेगी.

अमृतसर की अनाज मंडियों में हालात विशेष रूप से चिंताजनक हैं. भगतांवाला, जंडियाला गुरु और टांगरा समेत आसपास के गांवों से मंडियों में लाई गई फसल बारिश में भीग गई. कई किसानों को अपनी फसलों को तिरपाल से ढककर मंडी में रात बितानी पड़ी, ताकि धान पूरी तरह खराब न हो.

सरकारी खरीद और समर्थन मूल्य

अमृतसर में अब तक 48 मंडियों में 80,324 मीट्रिक टन धान की खरीद विभिन्न एजेंसियों द्वारा की जा चुकी है. सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. सरकारी नियम के अनुसार धान में नमी 17 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, ताकि खरीद में कोई समस्या न आए.

डिप्टी कमिश्नर ने किसानों से अपील की है कि वे मंडियों में सूखा धान ही लेकर आएं और पराली जलाए बिना फसल के अवशेष का जिम्मेदारी से प्रबंधन करें.

पटियाला और अन्य जिलों में स्थिति

पटियाला और अन्य जिलों की मंडियों में भी बारिश की मार साफ दिखाई दे रही है. किसानों का कहना है कि कई मंडियों में शेड और उचित संरचना न होने के कारण फसल अधिक प्रभावित हुई. इससे पहले बाढ़ और फसल पर वायरस का हमला किसानों की परेशानी बढ़ा चुका था. अब बारिश ने हालात और मुश्किल बना दिए हैं.

किसानों की मांग और भविष्य की चिंता

किसानों का कहना है कि अगर सरकार जल्द उपाय नहीं करती और नुकसान की भरपाई सुनिश्चित नहीं करती, तो आंदोलन करना पड़ सकता है. वे चाहते हैं कि मंडियों में त्वरित राहत और उचित व्यवस्थाएं की जाएं ताकि उनकी मेहनत पर फिर से पानी न फिरे.

पंजाब में इस समय किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण दौर है. धान की कटाई, बारिश, नमी और मंडियों में खरीदारों की कमी ने उनके सामने कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं. ऐसे में किसान धान को सही तरीके से सुखाने और नमी घटाने पर जोर दे रहे हैं, ताकि फसल का सही मूल्य मिल सके और नुकसान कम से कम हो.

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