सरकार की पहल से बढ़ी किसानों की आय, तमिलनाडु ने रागी खरीद में बनाया नया रिकॉर्ड

तमिलनाडु सरकार ने इस बार किसानों को पिछली बार से ज्यादा दाम देने का निर्णय लिया है. 2025-26 के लिए रागी की खरीद कीमत 48,860 रुपये प्रति मीट्रिक टन तय की गई है, जो पिछले साल के 42,900 रुपये प्रति मीट्रिक टन से लगभग 6,000 रुपये अधिक है.

नई दिल्ली | Published: 10 Nov, 2025 | 07:40 AM

Ragi Procurement: तमिलनाडु सरकार अब किसानों की आमदनी बढ़ाने और पारंपरिक फसलों को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है. इसी कड़ी में राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों में 6,453 मीट्रिक टन रागी (मंडुआ) की खरीद की है. इस पहल के तहत अब तक किसानों को 26.48 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. यह जानकारी राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री आर. सक्करापाणी ने दी.

रागी की खरीद योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार,  तमिलनाडु सरकार ने साल 2022-23 में विकेंद्रीकृत खरीद योजना (Decentralised Procurement Scheme) के तहत पहली बार किसानों से सीधे रागी खरीदने का निर्णय लिया था. इस योजना का उद्देश्य था कि छोटे और सीमांत किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले और उन्हें बिचौलियों पर निर्भर न रहना पड़े. शुरुआत में यह योजना धर्मपुरी और कृष्णगिरी जिलों में लागू की गई थी, जहां बड़ी संख्या में किसान रागी की खेती करते हैं.

बाद में, इस पहल को और विस्तार देते हुए इसे सेलम और इरोड जिलों तक बढ़ाया गया. इस वित्तीय वर्ष 2024-25 में इन चार जिलों से ही 4,050 मीट्रिक टन रागी की खरीद की गई. अब तक कुल 3,578 किसानों को इस योजना का सीधा लाभ मिला है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा आई है.

किसानों को बढ़े हुए दाम का फायदा

तमिलनाडु सरकार ने इस बार किसानों को पिछली बार से ज्यादा दाम देने का निर्णय लिया है. 2025-26 के लिए रागी की खरीद कीमत 48,860 रुपये प्रति मीट्रिक टन तय की गई है, जो पिछले साल के 42,900 रुपये प्रति मीट्रिक टन से लगभग 6,000 रुपये अधिक है.

यह बढ़ोतरी किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है, खासकर उन इलाकों में जहां रागी मुख्य खाद्य फसल मानी जाती है. रागी की खेती कम पानी और कम लागत में होती है, इसलिए इसका उत्पादन ग्रामीण इलाकों में किसानों के लिए एक स्थायी विकल्प बनता जा रहा है.

मंत्री आर. सक्करापाणी ने बताया कि तमिलनाडु सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन (TNCSC) को इस साल 1 नवंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक 6,000 मीट्रिक टन रागी सीधे किसानों से खरीदने की मंजूरी दे दी गई है.

किसानों के लिए खुला अवसर

राज्य सरकार ने चारों जिलों धर्मपुरी, कृष्णगिरी, सेलम और इरोड में खरीद केंद्र स्थापित किए हैं. इन केंद्रों पर किसान अपनी उपज बेच सकते हैं और तुरंत भुगतान प्राप्त कर सकते हैं. सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे इस मौके का लाभ उठाएं और निर्धारित दरों पर अपनी फसल बेचें.

रागी की खरीद से न केवल किसानों को उचित मूल्य मिल रहा है बल्कि राज्य के खाद्य भंडारों में पोषक अनाजों का भंडारण भी बढ़ा है. राज्य सरकार आने वाले वर्षों में इस पहल को और जिलों में विस्तार देने की योजना बना रही है ताकि मिलेट्स (श्री अन्न) जैसे पौष्टिक अनाजों को प्रोत्साहन मिल सके.

रागी: किसानों की नई उम्मीद

रागी को ‘कैल्शियम का खजाना’ कहा जाता है. यह फसल कम पानी और कम लागत में उगाई जा सकती है, इसलिए तमिलनाडु जैसे राज्यों में यह किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बनती जा रही है. राज्य सरकार का यह कदम न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर रहा है, बल्कि यह मिलेट मिशन को भी नई दिशा दे रहा है.

सरकार के इस प्रयास से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में रागी उत्पादन में 10-15 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की जाएगी और राज्य स्थानीय अनाज आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ा सकेगा.

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