4,853 सालों से जिंदा है यह पेड़, जानिए क्या रहस्य है इनकी लंबी उम्र का?
कैलिफोर्निया के व्हाइट माउंटेंस में स्थित यह पेड़ मेथुसेलाह कहलाता है. इसकी उम्र लगभग 4,853 वर्ष मानी जाती है. यानी यह पेड़ तब भी था जब मिस्र में गिजा के पिरामिड बनाए जा रहे थे. सोचिए, इतना प्राचीन पेड़ आज भी जीवित है, यह अपने आप में किसी रहस्य से कम नहीं.
दुनिया में कई प्राकृतिक चमत्कार हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो समय की हर सीमा को तोड़कर आज भी हमारे सामने खड़े हैं. ऐसा ही एक चमत्कार है दुनिया का सबसे पुराना जीवित पेड़, एक ऐसा पेड़ जिसने साम्राज्यों का उदय और पतन देखा, मौसम के तूफान सहे और हजारों साल से पृथ्वी के बदलते रूप को अपनी आंखों से देखा. यह पेड़ सिर्फ एक जीव नहीं, बल्कि प्रकृति का इतिहास है.
हजारों साल पुराना ‘मेथुसेलाह’
कैलिफोर्निया के व्हाइट माउंटेंस में स्थित यह पेड़ मेथुसेलाह कहलाता है. इसकी उम्र लगभग 4,853 वर्ष मानी जाती है. यानी यह पेड़ तब भी था जब मिस्र में गिजा के पिरामिड बनाए जा रहे थे. सोचिए, इतना प्राचीन पेड़ आज भी जीवित है, यह अपने आप में किसी रहस्य से कम नहीं.
मेथुसेलाह Bristlecone Pine प्रजाति का पेड़ है, जो बेहद कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रह सकता है. तेज हवा, पत्थरीली मिट्टी, और बेहद ठंडे वातावरण में पनपने वाला यह पेड़ धरती की सबसे मजबूत प्रजातियों में से एक माना जाता है.
इसकी जड़ें उन शाखाओं को ही पोषण देती हैं जो जरूरी हों, जिससे यह तूफानों और सूखे से बचा रहता है और हजारों साल तक अपने अस्तित्व को बनाए रख पाता है.
क्या यह पेड़ वास्तव में सबसे पुराना है?
हाल ही में चिली के जंगलों में एक और पेड़ ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है. अलरेस मिलेनारियो, जो Fitzroya cupressoides प्रजाति का है, उसकी उम्र भी लगभग 5,000 वर्ष होने का अनुमान लगाया गया है.
हालांकि, इसकी उम्र पारंपरिक तरीके (रिंग्स की गिनती) से नहीं बल्कि कंप्यूटर मॉडल और वैज्ञानिक अध्ययन से जानी जा रही है. इसलिए अभी इसके औपचारिक रूप से सबसे पुराना पेड़ घोषित होने की प्रक्रिया जारी है.
प्रकृति की अनोखी डायरी
यह बेहद दिलचस्प है कि पेड़ अपने तने में हर साल एक नई रिंग बनाते हैं, और यही रिंग्स उनके जीवन की पूरी कहानी समेटे होती हैं. इन रिंग्स में उस वर्ष का तापमान, वर्षा की मात्रा, हवा और मौसम में हुए बदलाव, यहां तक कि सूखा या बाढ़ जैसी स्थितियों का भी रिकॉर्ड दर्ज होता है. वैज्ञानिक इन रिंग्स को ध्यान से पढ़कर हजारों साल पहले की जलवायु स्थिति का पता लगा लेते हैं.
यही वजह है कि ऐसे पेड़ एक तरह से चलता-फिरता क्लाइमेट रिकॉर्ड होते हैं. मेथुसेलाह जैसे प्राचीन पेड़ पृथ्वी के जलवायु इतिहास को समझने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन्हें पूरी तरह सही कारण से प्रकृति की टाइम मशीन कहा जाता है, क्योंकि ये हमें उस दौर की जानकारी देते हैं जब इंसान ने सभ्यता की शुरुआत भी नहीं की थी.
प्रकृति के सबसे पुराने प्रहरी का योगदान
इतनी अधिक उम्र तक जीवित रहने वाले पेड़ सिर्फ आश्चर्य का विषय नहीं होते, बल्कि धरती के पर्यावरण के लिए अनमोल खजाने भी माने जाते हैं. ऐसे पेड़ वर्षों तक कार्बन डाइऑक्साइड को तेजी से अवशोषित करके वातावरण को संतुलित रखते हैं. ये मिट्टी और हवा को शुद्ध करने के साथ अपने आसपास के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करते हैं. सबसे खास बात यह है कि ये पेड़ सैकड़ों–हजारों वर्षों तक कार्बन को अपनी जड़ों और तने में सुरक्षित रखते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में बेहद मदद मिलती है.
इन प्राचीन पेड़ों का अस्तित्व यह साबित करता है कि प्रकृति कितनी धैर्यवान, मजबूत और सहनशील है. चाहे मौसम कितना भी बदले, परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, ऐसे पेड़ सदियों तक जिंदा रहकर हमें पर्यावरण संरक्षण का सबसे बड़ा संदेश देते हैं.
क्या रहस्य है इनकी लंबी उम्र का?
वैज्ञानिक बताते हैं कि इन पेड़ों की लंबी उम्र का सबसे बड़ा कारण इनकी बहुत धीमी वृद्धि और कठिन पर्वतीय वातावरण है. ऊंचाई पर कीट-पतंगे कम होते हैं, तापमान ठंडा रहता है और पेड़ों की लकड़ी भी बेहद मजबूत होती है, जिससे वे तूफान, बर्फबारी और बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं. धीमी गति से बढ़ने के कारण ये पेड़ कम ऊर्जा खर्च करते हैं, और इसी वजह से हजारों साल तक जीवित रह पाते हैं.