Turmeric Organic Farming: हल्दी न केवल भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है बल्कि इसमें मौजूद औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में इसे विशेष स्थान दिया गया है. बाजार में हल्दी की मांग हमेशा बनी रहती है, यही कारण है कि किसानों इसकी खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं. खास बात ये है कि आज के समय में किसानों के बीच जैविक खेती का चलन बढ़ गया है, इसी के चलते किसान अब जैविक तरीके से हल्दी की खेती करने लगे हैं जो कि उनके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. खास बात ये है कि अगर खेती करते समय मिट्टी में गोबर की खाद मिला दी जाए तो अच्छा उत्पादन मिल सकता है.
फसल में मिलाएं गोबर खाद की इतनी मात्रा
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे हल्दी की खेती से पहले खेत की गहरी जुताई कर लें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और खरपतवार नष्ट हो जाएं. इसके बाद खेत में 20 से 25 टन गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर की दर से जरूर मिलाएं. गोबर की खाद के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और कई तरह के रोगों से भी लड़ने की ताकत मिलती है और फसल भी सुरक्षित रहती है. किसान चाहें तो खेत में वर्मी कम्पोस्ट, नीम की खली और हरी खाद भी मिला सकते हैं.
इस विधि से करें बीज बुवाई
हल्दी की खेती के लिए गांठें (Rhizomes) की बुवाई की जाती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक हेक्टेयर जमीन पर हल्दी की खेती करने के लिए लगभग 20 से 25 क्विंटल बीज गांठें पर्याप्त मानी जाती हैं. बुवाई के समय किसानों को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि कतार से कतार की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 20 से 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए. बता दें कि, मॉनसून सीजन हल्दी की खेती के लिए बेस्ट होता है क्योंकि हल्दी की फसल को बढ़ने के लिए नमी की जरूरत होती है. बारिश न होने पर 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करें और साथ ही खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथ से निराई-गुड़ाई करें और जैविक मल्चिंग का इस्तेमाल करें. रोग और कीट नियंत्रण के लिए किसान चाहें तो नीम तेल स्प्रे या जैविक बायोपेस्टिसाइड का छिड़काव कर सकते हैं.
सही जलवायु और मिट्टी का चुनाव जरूरी
हल्दी की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और पर्याप्त मात्रा में नमी का होना जरूरी है. हल्दी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली हल्की दोमट, लाल या बलुई मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इस मिट्टी में जैविक तत्व मौजूद होते हैं. बता दें कि, जैविक तरीके से हल्दी की खेती करने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर फसल से औसतन लगभग 180 से 200 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है.