Potato Farming: आलू की खेती देश में बड़े पैमाने पर की जाती है और ये प्रमुख नकदी फसलों में से एक है. ऐसे में किसानों की यही कोशिश होती है कि वे आलू की उन्नत किस्मों की खेती करें ताकि उन्हें फायदा हो. आलू की ऐसी ही एक उन्नत क्वालिटी और अच्छा उत्पादन देने वाली किस्म है कुफरी बादशाह (Kufri Badshah), जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की ओर से विकसित किया गया है. अपने नाम के कारण इस किस्म को आलुओं का बादशाह कहा जाता है. घरेलू इस्तेमाल के साथ ही आलू की ये किस्म खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) के लिए भी बेस्ट मानी जाती है.
कुफरी बादशाह की खासियत
ICAR द्वारा विकसित की गई आलू की किस्म कुफरी बादशाह का आकार अंडाकार और सतह चिकनी होती है और इसका छिलका देखने में हल्का भूरा और गूदा सफेद रंग का होता है, जो देखने और खाने दोनों में आकर्षक लगता है. इसकी खासियत है कि ये किस्म उबालने, तलने और स्नैक्स जैसे फ्रेंच फ्राइज, चिप्स आदि बनाने के लिए बेस्ट मानी जाती है. फूड प्रोसेसिंग के लिए ये किस्म इसलिए भी अच्छी मानी जाती है क्योंकि इसका गूदा तलने के बाद भी काला नहीं पड़ता.
35 टन तक हो सकती है पैदावार
मीडिया रिपोर्टेस के अनुसार, कुफरी बादशाह की किस्म औसतन लगभग 30 से 35 टन प्रति हेक्टेयर तक पैदावार देने की क्षमता रखती है. अगर किसान अच्छी देखभाल और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करते हैं तो फसल से पैदावार और ज्यादा हो सकती है. इसके अलावा, कुफरी बादशाह की किस्म किसानों के बीच इसलिए भी खास है क्योंकि ये अगेती और देर से झुलसा रोग (Early & Late Blight) से लड़ने की क्षमता रखती है. ये किस्म किसानों को रोगों से होने वाले नुकसान से बचाती है और पैदावार को भी सुरक्षित रखती है.
मैदानी इलाकों में उगाना आसान
कुफरी बादशाह उत्तर भारत, मध्य भारत और मैदानी इलाकों में रबी मौसम के दौरान आसानी से उगाई जा सकती है. इसकी अच्छी उत्पादन क्षमता और रोग मुक्त फसल इसे किसानों के बीच खेती के लिए काफी लोकप्रिय बनाती है. यही कारण है कि ये किस्म किसानों की पहली पसंद है. साथ ही फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी इस किस्म की भारी मांग रहती है. बता दें कि, ये किस्म किसानों को ज्यादा लाभ देने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को अच्छी और उन्नत क्वालिटी वाली आलू देती है. इन्हीं सब कारणों से भी कुफरी बादशाह को आलुओं का बादशाह कहा जाता है.