Polyhouse Farming: आज के किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए केवल पारंपरिक फसलों पर ही निर्भर नहीं रहते हैं, बल्कि वे अब नई तकनीकों के इस्तेमाल से खेती को अपने लिए मुनाफे का सौदा बना रहे हैं. सरकार भी किसानों को खेती की आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करती है. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश कृषि विभाग किसानों को पॉली हाउस तकनीक से खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है. बता दें कि, इस तकनीक की मदद से किसान ऑफ सीजन की फसलों की खेती कर अपनी उपज से अच्छी कमाई कर सकते हैं.
क्या है पॉली हाउस तकनीक
पॉलीहाउस खेती करने की एक ऐसी तकनीक है जिसमें लकड़ी या लोहे के पाइप की मदद से एक ढांचा तैयार किया जाता है और उसपर एक प्लास्टिक शीट लगाई जाती है. प्लास्टिक शीट से ढका हुआ ये ढांचा अंदर के तापमान, नमी और हवा को नियंत्रित रखती है, ताकि फसल को जरूरत से ज्यादा धूप, तेज बारिश और ठंड से बचाया जा सके. दूसरा, इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इस तकनीक की मदद से किसानों को सालभर खेती करने की सुविधा मिलती है. इसके अलावा कीटों और रोगों के हमले का खतरा भी कम होता है.
किसानों को कैसे होता है फायदा
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की ओर से सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, खेती में पॉली हाउस तकनीक का इस्तेमाल करने से फसल से होने वाली पैदावार 3 से 5 गुना तक बढ़ जाती है. साथ ही इस तकनीक में कीटनाशकों का कम इस्तेमाल होता है जिसके कारण किसानों को रोगमुक्त और सुरक्षित उपज मिलती है. इसके अलावा इस तकनीक से किसान ऑफ सीजन की फसलें उगाने में सक्षम होते हैं इसलिए बाजार में ऑफ सीजन फसल की उपज की उपलब्धता होने के कारण अच्छी कीमत मिलती है. यानी अगर कोई किसान ऑफ सीजन में पॉली हाउस तकनीक का इस्तेमाल कर टमाटर उगाता है तो उसकी उपज 50 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकेंगे, जबकि यही टमाटर सीजन में मात्र 15 से 20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकते हैं.
इन फसलों की होती है सबसे ज्यादा मांग
पॉली हाउस तकनीक की मदद से किसान ऑफ सीजन में कई तरह की फसलों की खेती कर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इनमें टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, बैंगन, मटर, बीन्स, पालक, मेथी जैसी पत्तेदार सब्जियां और गुलाब, गेरबेरा, कार्नेशन जैसे फूल शामिल हैं. बता दें कि, इन फसलों की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. इसलिए पॉली हाउस तकनीक से इनकी खेती करना बेहद ही फायदेमंद है.