उत्तर प्रदेश के कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने बिलासपुर के ग्राम कुआ खेड़ा में मक्का की फसल का निरीक्षण किया और किसानों द्वारा वैकल्पिक फसल अपनाने को सराहनीय कदम बताया.
इस मौके पर संयुक्त कृषि निदेशक जीवन प्रकाश, उप कृषि निदेशक राम किशन, जिला कृषि अधिकारी कुलदीप राणा और वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र जैसे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने तकनीकी सुझाव भी साझा किए.
कृषि मंत्री बलदेव सिंह औलख ने बताया कि क्षेत्र के किसान अब साठा धान की जगह मक्का जैसी वैकल्पिक और लाभकारी फसलें अपना रहे हैं, जो सरकार की कृषि नीति और भविष्य के जल संरक्षण के प्रयासों के अनुकूल एक बड़ा बदलाव है.
खरीफ सीजन 2024 में किसानों ने संगरूर जिले में केवल 59 हेक्टेयर में मक्का बोया था. लेकिन इस बार बढ़ोतरी हुई है. (सांकेतिक फोटो)
मक्का एक ऐसी बहुउपयोगी फसल है जिसे खरीफ, रबी और जायद, तीनों मौसमों में उगाया जा सकता है. यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है और हर तरह की मिट्टी में अच्छे जल निकासी के साथ सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है.
उत्तर प्रदेश में मक्के की औसत उपज 21.63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वहीं तमिलनाडु जैसे राज्य प्रति हेक्टेयर 59.39 क्विंटल तक उपज ले रहे हैं. जबकि राष्ट्रीय औसत 26 क्विंटल है. विशेषज्ञ मानते हैं कि वैज्ञानिक तकनीकों से यह उत्पादन क्षमता 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है.