गर्मियों में खेत की जुताई क्यों है जरूरी… मिट्टी की ताकत बढ़ाने का फॉर्मूला जानें

ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत की मिट्टी को सांस मिलती है और खरपतवार व कीट नष्ट हो जाते हैं. इससे मिट्टी की ताकत बढ़ती है, नाइट्रोजन सक्रिय होता है और अगली फसल की पैदावार बेहतर होती है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 2 May, 2025 | 08:30 AM

गर्मी की धूप हो या खेत की तपती जमीन, अगर किसान इस समय को हल और हिम्मत के एक साथ जोड़ दे तो अगली फसल की नींव मजबूत हो जाती है. ग्रीष्मकालीन जुताई यानी खेत को पलटना, मिट्टी को सांस देना, कीटों को खत्म करना और पैदावार की राह आसान बनाना. गर्मियों में खेत की जुताई आखिर क्यों जरूरी है, इसका वैज्ञानिक आधार क्या है, इससे मिट्टी और फसल को कैसे फायदा होता है और किस यंत्र से जुताई की जाए. यह सब जानना जरूरी है, ताकि किसान की लागत घटे और कमाई बढ़े.

गर्मी में खेत की जुताई करने का सही तरीका

गर्मी के मौसम में की जाने वाली जुताई का मकसद होता है मिट्टी की ऊपरी परत को पलटना. जब रबी फसलों की कटाई हो जाती है और खेत खाली हो जाता है, तब थोड़ी-सी नमी के रहते हल चला देना सबसे सही समय माना जाता है. अगर सिंचाई की सुविधा हो तो पानी देकर भी 15–20 दिन के भीतर जुताई की जा सकती है. इस प्रक्रिया से ऊपर की ढकी हुई परत नीचे चली जाती है और नीचे की ताकतवर परत ऊपर आती है. इससे खेत की उपजाऊ ताकत लौटती है और खरीफ की तैयारी बेहतर हो जाती है.

मिट्टी में छिपे खरपतवार और कीटों का सफाया

गर्मियों में जुताई करने से कई फायदे होते हैं. सबसे पहला फायदा यह कि मिट्टी में छिपे खरपतवार और कीटों का सफाया हो जाता है. जैसे टिड्डी अपने अंडे मिट्टी में कुछ सेंटीमीटर अंदर देती है, जो पहली बरसात के साथ बाहर निकलते हैं. गर्मियों में जुताई करने पर ये अंडे सतह पर आ जाते हैं और सूर्य की किरणों से नष्ट हो जाते हैं या पक्षियों द्वारा खा लिए जाते हैं. जमीन में हवा और धूप का सीधा प्रवेश होता है, जिससे जैविक गतिविधियां तेज हो जाती हैं और मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन तेजी से सक्रिय हो जाती है. इससे खरीफ की फसल के लिए जरूरी पोषक तत्व, जैसे कि नाइट्रेट, फॉस्फोरस और पोटाश की उपलब्धता बढ़ जाती है.

15 सेंटीमीटर गहराई तक करना लाभकारी

जुताई कैसे करें, यह भी अहम सवाल है. खेत की जुताई 15 सेंटीमीटर गहराई तक करना लाभकारी होता है. अगर खेत ढलान पर है तो हल हमेशा ढलान के विपरीत दिशा में चलाएं ताकि मिट्टी बह न जाए. ऊंची-नीची जमीन में टेढ़ी-मेढ़ी जुताई ज्यादा उपयुक्त रहती है. जहां कम्बाइन मशीन का उपयोग हुआ हो, वहां तवेदार हल और रोटावेटर से जुताई करना बेहतर होता है. क्योंकि इससे डंठल छोटे होकर मिट्टी में मिल जाते हैं और सड़कर खाद में बदल जाते हैं.

रोटावेटर से 35 प्रतिशत तक डीजल की बचत

गर्मियों की जुताई के लिए मोल्ड बोर्ड हल, टर्नरिस्ट हल और रोटावेटर जैसे यंत्र उपयोगी साबित होते हैं. रोटावेटर के इस्तेमाल से न सिर्फ समय की बचत होती है, बल्कि 15 से 35 प्रतिशत तक डीजल की भी बचत होती है. इसके बाद पाटा चलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती. खेत की स्थिति के अनुसार बाहर से भीतर, भीतर से बाहर या चक्करदार ढंग से जुताई की जा सकती है. मिट्टी पलटने वाले हलों का प्रयोग मौसम और स्थान की जरूरत के अनुसार करें.

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Published: 2 May, 2025 | 08:30 AM

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