अब प्याज की बर्बादी पर लगेगा ब्रेक, बिहार सरकार दे रही है स्टोरेज पर 75 फीसदी सब्सिडी

अक्सर प्याज के दाम बाजार में काफी ऊपर-नीचे होते रहते हैं. खरीफ और रबी सीजन की फसल आते ही कीमतें गिर जाती हैं, जबकि अगस्त से नवंबर के बीच ये अचानक बढ़ जाती हैं. ऐसे में छोटे किसान अपनी उपज को सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं.

नई दिल्ली | Published: 12 May, 2025 | 07:35 AM

बिहार के प्याज उत्पादक किसानों के लिए एक राहतभरी खबर आई है. अब सरकार किसानों को प्याज भंडारण संरचना (स्टोरेज यूनिट) बनाने पर 75 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है. इसका सीधा फायदा यह होगा कि किसान अपनी उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाएंगे और बाजार में सही कीमत मिलने पर ही उसे बेच सकेंगे.

क्यों जरूरी है प्याज भंडारण?

हम सबने देखा है कि अक्सर प्याज के दाम बाजार में काफी ऊपर-नीचे होते रहते हैं. खरीफ और रबी सीजन की फसल आते ही कीमतें गिर जाती हैं, जबकि अगस्त से नवंबर के बीच ये अचानक बढ़ जाती हैं. ऐसे में छोटे किसान अपनी उपज को सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं क्योंकि उनके पास भंडारण की सुविधा नहीं होती.
अब सरकार की यह नई योजना किसानों को ऐसी ही स्थितियों से बचाने में मदद करेगी.

योजना के तहत क्या मिलेगा?

सरकार की प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत प्याज स्टोरेज यूनिट बनाने पर अधिकतम 4.5 लाख रुपये या 75% तक की सब्सिडी दी जाएगी. यह राशि सीधे किसान के बैंक खाते में दो किस्तों में DBT (Direct Benefit Transfer) के जरिए भेजी जाएगी.

किन जिलों के किसान ले सकते हैं फायदा?

इस योजना का लाभ इस साल बिहार के 22 जिलों के किसानों को मिलेगा. इन जिलों में शामिल हैं:
पटना, गया, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद, समस्तीपुर, वैशाली, सीवान, सारण, नवादा, कैमूर, बेगूसराय, नालंदा, मधुबनी, मुंगेर, लखीसराय, जहानाबाद, खगड़िया, पूर्णिया और शेखपुरा.

आवेदन कैसे करें?

किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए बिहार बागवानी विभाग की वेबसाइट
horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. ध्यान रखें, आवेदन स्वीकृत होने के 15 दिनों के भीतर स्टोरेज का निर्माण कार्य शुरू करना जरूरी है. अगर तय समय में निर्माण शुरू नहीं हुआ, तो आवेदन रद्द कर दिया जाएगा.

क्यों है यह योजना फायदेमंद?

  • किसान प्याज को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकेंगे
  • बाजार में सही समय पर बेहतर कीमत मिल पाएगी
  • उत्पादन के साथ-साथ भंडारण क्षमता भी बढ़ेगी
  • नुकसान और बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी