हर मौसम में कमाई देती है ये फसल, लेकिन एक गलती की तो बर्बाद हो जाएगी पूरी मेहनत

सूरजमुखी एक ऐसी फसल है, जिसे तीनों मौसम में उगाया जा सकता है. अगर किसान सही मिट्टी, सही समय और सही तकनीक अपनाएं तो सूरजमुखी से साल में तीन बार मुनाफा कमाया जा सकता है.

नोएडा | Published: 20 Jul, 2025 | 08:08 PM

सूरजमुखी की खेती उन फसलों में गिनी जाती है जो साल के तीनों मौसम (खरीफरबी और जायद) में की जा सकती हैं. यही वजह है कि इसे हर मौसम में मुनाफा देने वाली फसल कहा जाता है. लेकिन इसमें एक ऐसी गलती भी है, जो आपकी पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है. अच्छी पैदावार के लिए जरूरी है कि सही मौसम का चुनाव करें, मिट्टी की किस्म समझें और खेत की तैयारी में कोई लापरवाही न हो. तभी सूरजमुखी की खेती वाकई में फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

तीन सीजन में कमाई का मौका देती है सूरजमुखी

सूरजमुखी की खेती तीनों मौसम (खरीफ, रबी और जायद) में की जा सकती है, लेकिन मौसम का सही चुनाव करना बहुत जरूरी है. खासतौर पर खरीफ में जब बारिश और नमी ज्यादा होती है, तब सूरजमुखी पर कीट और बीमारियों का असर बढ़ जाता है. ऐसे में पौधों में फूल छोटे रह जाते हैं और दानों की भरपूर मात्रा नहीं बन पाती, जिससे उपज घट जाती है और किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है. इसके विपरीत, जायद का मौसम यानी मार्च से जून तक का समय सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है. क्योंकि इस दौरान मौसम शुष्क रहता है, कीटों का प्रकोप कम होता है और उपज अच्छी मिलती है.

कैसी मिट्टी और कैसा मौसम चाहिए?

उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार, सूरजमुखी उगाने के लिए कोई खास मिट्टी जरूरी नहीं है, लेकिन भारी और पानी रोकने वाली जमीन इसमें ज्यादा फायदेमंद होती है. ऐसी जमीन में सूरजमुखी की जड़ें अच्छे से फैलती हैं और पौधा मजबूत बनता है. वहीं इस फसल को खट्टी (अम्लीय) या नमक वाली (क्षारीय) मिट्टी से बचना चाहिए. जहां सिंचाई की सुविधा पक्की हो, वहां सूरजमुखी की खेती और अच्छी होती है. यह फसल खुली धूप में अच्छी बढ़ती है, इसलिए इसे खुले खेत में बोना चाहिए. रबी और जायद का मौसम सूरजमुखी के लिए सबसे अच्छा होता है, क्योंकि इन दिनों मौसम संतुलित रहता है और कीट भी कम लगते हैं.

खेत की तैयारी में छिपा है आधा मुनाफा

अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी बेहद जरूरी है. अगर खेत में नमी कम है तो सबसे पहले पलेवा (खेत में पानी लगाना) करें. इसके बाद मिट्टी पलटने वाले हल से एक बार और देसी हल से 2–3 बार जुताई करनी चाहिए, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाए. क्योंकि भुरभुरी मिट्टी में सूरजमुखी के बीज अच्छे से जमते हैं और पौधे जल्दी विकसित होते हैं. इससके अलावा खेत को समतल और खरपतवार रहित रखना जरूरी है. देखा जाए आजकल रोटावेटर की मदद से भी खेत की जल्दी और प्रभावी तैयारी की जा सकती है, जो समय और मेहनत दोनों बचाता है.

एक गलती जो कर सकती है पूरी फसल चौपट

सूरजमुखी की खेती  में सबसे बड़ी गलती जो किसान करते हैं, वो है गलत मौसम में बुवाई. खासकर खरीफ में बोने से फसल पर रोग और कीटों का हमला होता है. नतीजतन फूल छोटे रह जाते हैं और उपज घट जाती है. दूसरी गलती होती है खेत की अधूरी तैयारी. अगर मिट्टी सही तरीके से नहीं तैयार की गई या सिंचाई की योजना नहीं बनी तो पौधों की वृद्धि पर असर पड़ता है.

इन दोनों गल्तियों से बचकर ही सूरजमुखी की खेती से बेहतर आमदनी पाई जा सकती है. किसान अगर सही मौसम, सही मिट्टी और सही तकनीक अपनाएं तो ये फसल तीन बार कमाई का मौका देती है.