वाहनों के लिए इथेनॉल ब्लेंड फ्यूल खराब होने के दावे कितने सच? ISMA ने फैक्ट के साथ पेश की रिपोर्ट

चीनी उद्योग के शीर्ष निकाय इस्मा (ISMA) ने कहा कि यह स्पष्ट करना जरूरी है कि भारत का इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम वैज्ञानिक रूप से मान्य है और विश्व स्तर पर सही साबित हो चुका है.

नोएडा | Published: 8 Aug, 2025 | 07:51 PM

इथेनॉल ब्लेंड फ्यूल को लेकर सोशल मीडिया पर हाल ही में गलत सूचनाएं देखी जा रही हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि इथेनॉल ब्लेंड फ्यूल से वाहनों का माइलेज घट रहा है. इसको लेकर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया है. अब इस्मा ने इथेनॉल ब्लेंड प्रोग्राम को लेकर फैली भ्रांतियों को खारिज किया है.

चीनी उद्योग के शीर्ष निकाय इस्मा (ISMA) ने कहा कि यह स्पष्ट करना जरूरी है कि भारत का इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम वैज्ञानिक रूप से मान्य है और विश्व स्तर पर सही साबित हो चुका है. देश की ऊर्जा स्वतंत्रता तथा किसान कल्याण के लिए यह रणनीतिक रूप से काफी अहम है. E20 ईंधन से वाहन इंजनों को नुकसान पहुचने के दावों के विपरीत तेल विपणन कंपनियों (OMCs) के परीक्षण और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) के प्रमाणन ने भारतीय वाहनों के लिए E20 सही होने की पुष्टि की है.

कई दशक से ब्राजील में हो रहा सफल इस्तेमाल

ऑटोमोबाइल निर्माता पहले से ही स्पष्ट लेबलिंग और यूजर गाइडेंस के साथ E20 के अनुसार वाहन बना रहे हैं. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने पहले ही आधिकारिक आंकड़े और तकनीकी निष्कर्ष जारी कर दिए हैं जो इथेनॉल की बेहतर ईंधन विशेषताओं की पुष्टि करते हैं. वैश्विक स्तर पर ब्राज़ील जैसे देश दशकों से E20 से E100 तक के इथेनॉल मिश्रणों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन वाहनों में समस्याओं की कोई रिपोर्ट नहीं है. ब्राज़ील 1980 के दशक से E100 वाहन चला रहा है और वर्तमान में अपने पेट्रोल में 27 फीसदी से अधिक इथेनॉल मिलाता है और 2030 तक 30 फीसदी इथेनॉल ब्लेंड करने की ओर बढ़ रहा है.

इथेनॉल फ्यूल राष्ट्रीय जरूरत – दीपक बल्लानी

भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि इथेनॉल ब्लेंड फ्यूल केवल एक तकनीकी विकल्प भर नहीं है. यह एक राष्ट्रीय जरूरत है. कठोर वैज्ञानिक प्रमाणों और दशकों के वैश्विक अनुभव द्वारा समर्थित, यह हमारे किसानों, हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे पर्यावरण के लिए लाभ देता है. इस कार्यक्रम को कमजोर करने का कोई भी प्रयास ऊर्जा आत्मनिर्भरता, ग्रामीण समृद्धि और सभी के लिए स्वच्छ वायु की दिशा में भारत की प्रगति को धीमा करने का जोखिम उठाता है.

गन्ना किसानों के लिए क्रांतिकारी बदलाव ला रहा इथेनॉल

आर्थिक नजरिए से इथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम भारत भर के पांच करोड़ से अधिक गन्ना किसानों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में उभरा है. इथेनॉल इकोसिस्टम के जरिए किसानों को 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक ट्रांसफर किए गए हैं. इससे चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार होता है और किसानों को समय पर भुगतान होता है. इसके अलावा अतिरिक्त चीनी भंडार का मैनेजमेंट करने में मदद मिलती है, जिससे गन्ने की कीमतें स्थिर होती हैं और किसानों की इनकम सिक्योर होती है. यह कार्यक्रम किसानों को एनर्जी प्रोड्यूसर बनाने के सरकार के ‘अन्नदाता से ऊर्जादाता’ के नजरिए के साथ मेल खाता है.

85 फीसदी तेल जरूरत को पूरा करने में मददगार इथेनॉल

इथेनॉल मिश्रण भारत की ऊर्जा सुरक्षा रणनीति का एक जरूरी फैक्टर भी है. देश अपनी 85 फीसदी से अधिक कच्चे तेल की ज़रूरतों को आयात करता है, इसलिए इथेनॉल के बढ़ते उपयोग से इस निर्भरता को कम करने में मदद मिलती है. अकेले E20 ब्लेंडिंग से सालाना 35,000-40,000 करोड़ रुपये की फॉरेन करेंसी की बचत होने की उम्मीद है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाया जा सकेगा. इथेनॉल से होने वाले पर्यावरणीय लाभ भी उतने ही अहम है.इथेनॉल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 40-60 फीसदी तक कम करता है.

इथेनॉल ब्लेंड फ्यूल के खिलाफ सोशल मीडिया पर हाल ही में चलाया गया नकारात्मक अभियान न केवल भ्रामक है, बल्कि इस कार्यक्रम के लिए हानिकारक है. इथेनॉल केवल एक वैकल्पिक ईंधन नहीं है. यह भारत के भविष्य के लिए एक स्वच्छ, स्मार्ट और अधिक समावेशी एनर्जी सॉल्यूशन है.