मांस-ऊन और दूध से लखपति बना देती है खेरी भेड़, सूखे इलाकों में पालन के लिए बेस्ट

खेरी नस्ल की भेड़ कम पानी और चारे में भी जीवित रह सकती है. यह मांस, ऊन और दूध उत्पादन के लिए फायदेमंद है. पालन आसान है और छोटे किसान भी इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं. सूखे इलाकों में यह नस्ल किसानों की पसंद बनती जा रही है.

नोएडा | Published: 14 Sep, 2025 | 08:40 PM

देश के अलग-अलग हिस्सों में भेड़ पालन करने वाले किसानों और पशुपालकों के बीच एक खास नस्ल इन दिनों चर्चा में है- खेरी भेड़. राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के शुष्क इलाकों में पाई जाने वाली यह देसी नस्ल अब धीरे-धीरे छोटे किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है. वजह है- इसका मजबूत शरीर, कम खर्च में पालन, अच्छा मांस और ऊन उत्पादन.

खेरी भेड़ खासकर उन इलाकों में पालना ज्यादा फायदेमंद है, जहां बारिश कम होती है और चारे की कमी रहती है. ऐसे माहौल में भी यह भेड़ अच्छी तरह जीवित रह पाती है और किसानों को अच्छा मुनाफा देती है. आइए, जानते हैं इस भेड़ की पहचान, खूबियां और इसे पालने के फायदे.

खेरी भेड़ की पहचानदिखने में कैसी होती है यह नस्ल?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खेरी नस्ल की भेड़ को बाकी भेड़ों से अलग पहचानना आसान है. इसका शरीर मध्यम आकार का होता है और दिखने में मजबूत लगता है. इसके शरीर का रंग आमतौर पर सफेद होता है, लेकिन सिर और टांगों पर हल्के भूरे या काले रंग के धब्बे नजर आते हैं. नर भेड़ों के सिंग घुमावदार होते हैं, जो इसकी पहचान का खास हिस्सा हैं. वहीं मादा भेड़ों में या तो सिंग होते ही नहीं या बहुत छोटे होते हैं. इसका चेहरा पतला और थोड़ा लंबा होता है और कान लटके हुए और मध्यम आकार के होते हैं. खेरी भेड़ से ऊन भी प्राप्त होता है, जो मोटा होता है. यह ऊन कालीन और मोटे कपड़ों के लिए बेहतर माना जाता है, हालांकि यह बहुत महीन ऊन नहीं होता.

पर्यावरण के अनुसार ढलने वाली नस्ल

खेरी भेड़ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम पानी, कम चारा और गर्म मौसम में भी आसानी से जिंदा रह सकती है. यही वजह है कि यह भेड़ रेगिस्तानी और सूखे इलाकों के लिए बिल्कुल उपयुक्त मानी जाती है. जिन इलाकों में गर्मी ज्यादा होती है और बारिश कम होती है, वहां खेरी नस्ल बिना ज्यादा देखभाल के भी अच्छी पैदावार देती है. इसका शरीर मौसम के अनुसार खुद को ढाल लेता है और बीमारियों की संभावना भी कम होती है.

मांस और ऊन के लिए फायदेमंद

खेरी भेड़ से अच्छा मांस मिलता है, जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकता है. यह नस्ल मांस उत्पादन के लिए आदर्श मानी जाती है क्योंकि इसका वजन अच्छी तरह बढ़ता है और शरीर में मांस की मात्रा संतुलित होती है. जहां तक ऊन की बात है, तो इससे मिलने वाला ऊन मोटा होता है, जिसे कालीन और गर्म कपड़ों में उपयोग किया जाता है. भले ही यह ऊन बहुत कीमती न हो, लेकिन इसका इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में होता है.

पालन में कम खर्च, फायदा ज्यादा

खेरी भेड़ की देखभाल आसान होती है. इसे खास तरह की घास, सूखा चारा जैसे बाजरे की ठूंठ, गेहूं की भूसी और खली खिलाई जाती है. गर्मियों में थोड़ा ज्यादा पानी देना पड़ता है, लेकिन सर्दियों में यह केवल सूखे चारे से भी गुजारा कर लेती है. इस नस्ल की प्रजनन क्षमता भी अच्छी होती है. आमतौर पर यह साल में एक बार बच्चे देती है, और कई बार जुड़वा बच्चे भी हो जाते हैं. इससे किसानों को संख्या में बढ़ोतरी का भी लाभ मिलता है. छोटे और सीमांत किसान जिनके पास ज्यादा संसाधन नहीं होते, वे भी आसानी से खेरी भेड़ को पाल सकते हैं. इसकी बीमारी कम होती है और इलाज पर भी ज्यादा खर्च नहीं आता.

कीमत और बाजार में मांग

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खेरी नस्ल की भेड़ों की कीमत उनके वजन, उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है. एक सामान्य मादा भेड़ की कीमत 5,000 से 10,000 रुपए तक होती है. वहीं एक स्वस्थ वयस्क नर भेड़ 8,000 से 15,000 रुपए में बिक सकती है. अगर मादा भेड़ गर्भवती हो, तो उसकी कीमत 12,000 रुपए या उससे ज्यादा भी हो सकती है. बाजार में इसकी मांग steadily बढ़ रही है, खासकर उन इलाकों में जहां भेड़ पालन एक मुख्य आजीविका है. खेरी भेड़ की यह बढ़ती लोकप्रियता यह बताती है कि देश में देसी नस्लों की तरफ किसानों का भरोसा बढ़ रहा है. अच्छी देखभाल और सही खानपान से यह नस्ल लंबे समय तक लाभ देती है और छोटे किसानों के लिए बड़ा सहारा बन सकती है.

Published: 14 Sep, 2025 | 08:40 PM