चेरी ब्लॉसम का पेड़ अलग-अलग आकार में आता है. कुछ सीधे खड़े होते हैं, कुछ फैले हुए होते हैं और कुछ की शाखाएं नीचे की ओर झुकती हैं जैसे झरना. छोटे बगीचों से लेकर बड़े मैदानों तक, हर जगह के लिए इसकी एक उपयुक्त किस्म मौजूद है.
इन पेड़ों को खुली और धूपदार जगह बेहद पसंद है. लेकिन तेज हवा में इसके फूल जल्दी झड़ सकते हैं. इसलिए ऐसी जगह चुनें जहां सूरज की रोशनी अच्छी हो लेकिन हवा ज्यादा तेज न हो.
आपको अपने क्षेत्र की जलवायु के लिए उपयुक्त चेरी की किस्म चुननी चाहिए. जैसे की उत्तर भारत में आप "ओकल्या चेरी" या "किसुमा चेरी" जैसी किस्में लगा सकते हैं.
फूलदार चेरी को ऐसी मिट्टी चाहिए जो न तो ज्यादा सूखी हो और न ही पानी में डूबी हो. थोड़ी जैविक खाद मिलाकर मिट्टी को बेहतर बनाया जा सकता है. खास बात ये है कि यह पेड़ ज्यादातर तरह की मिट्टी में उग सकता है, जैसे चाक मिट्टी या क्षारीय मिट्टी.
अगर आप पेड़ नंगे जड़ वाला ले रहे हैं तो नवंबर से मार्च के बीच लगाएं. गड्ढा करीब 60x60 सेमी और 30 सेमी गहरा होना चाहिए. नीचे खाद डालें, पेड़ की जड़ें समतल रखें और फिर मिट्टी भरकर मजबूती से टाई कर दें. पानी जरूर दें और खाद/मल्च लगाएं.
जब पेड़ अच्छे से जम जाए तो ज्यादा मेहनत नहीं लगती. गर्मियों में अगर ज्यादा सूखा हो तो थोड़ा पानी दें और वसंत में एक बार खाद दे दें. छंटाई सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही करें और वो भी मई से अगस्त के बीच, ताकि कोई बीमारी न लगे.
साथ ही आपको बता दें कि, चेरी ब्लॉसम या चेरी के फूलों के अनेक फायदे हैं. चेरी ब्लॉसम त्वचा को चमकदार बनाने और हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करने में मदद करता है.