नवरात्रि में कलश विसर्जन दशमी तिथि को किया जाता है. साल 2025 में यह तिथि 1 अक्टूबर की शाम से शुरू होकर 2 अक्टूबर की शाम तक रहेगी. उदयातिथि को महत्व देते हुए 2 अक्टूबर को ही कलश विसर्जन किया जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सुबह 5:17 से 6:29 बजे तक का समय सबसे उत्तम रहेगा. इसके अतिरिक्त दोपहर 12:04 से 12:51 तक अभिजीत मुहूर्त में भी कलश विसर्जन किया जा सकता है, जिससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है.
विसर्जन की शुरुआत कलश पर रखे नारियल को उठाकर की जाती है. इसे फोड़कर प्रसाद के रूप में सभी को बांटा जाता है. यह शुभता और परिवार में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
कलश में रखा जल बेहद पवित्र माना जाता है. विसर्जन से पहले इसे आम के पत्तों से पूरे घर में छिड़कना चाहिए. माना जाता है कि इससे घर में नकारात्मकता दूर होती है और वातावरण पवित्र बनता है.
कलश में भरा जल सीधे पवित्र स्थानों पर चढ़ाना चाहिए. इसे पीपल के पेड़ की जड़ों में या फिर किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करना श्रेष्ठ माना जाता है. यह माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का प्रमुख साधन है.
कलश के साथ रखी सुपारी, लौंग और अन्य पूजन सामग्री को भी नदी या पवित्र जल में प्रवाहित किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से कलश विसर्जन पूर्ण होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.