इनकी खास बात यह है कि ये फूल कम पानी, पथरीली मिट्टी, और धूप वाली जगहों के साथ लंबे समय तक खिले रहने के साथ तेज सुगंध के लिए जाने जाते हैं. इन पौधों की ऊंचाई 6 से 24 इंच तक होती है. रंगों की बात करें तो इनमें कई खूबसूरत शेड्स होते हैं.
इस फूल की खुशबू से मधुमक्खियां और हमिंगबर्ड्स जैसे जीव भी अट्रैक्ट होतें हैं. इनकी पत्तियां लंबी और पतली होती हैं, बिल्कुल सन (flax) के पौधे जैसी होती हैं. वॉलफ्लावर को अगर आप पतझड़ में लगाते हैं, तो सर्दी पहली की ठंडी हवा आने से 4-6 हफ्ते पहले पौधे लगा दें ताकि जड़ें जम सकें.
इन पौधों को तेज धूप या छाया में भी लगाया जा सकता है. खास बात यह है कि इन्हें बहुत उपजाऊ मिट्टी और किसी प्रकार की खाद की जरूरत नहीं पड़ती हैं बल्कि ये सूखी, पथरीली मिट्टी में यह अच्छे से खिलते हैं.
इस पौधे की कुछ खास किस्में भी हैं से बोल्स मी अवे, सनसेट एप्रिकॉट, पश्चिमी वॉलफ्लावर. इनमें सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला किस्म एरिसिस्टिबल सनसेट हैं जो सूर्यास्त के रंगों के समान होते हैं. यह एक कॉम्पैक्ट पौधा है जो 18-24 इंच लंबा होता है.
वॉलफ्लावर को हफ्ते में एक बार पानी देना जरूरी होता है. वहीं यह पौधा एक बार जमने के बाद आगी बार खुद ही जाम जातें हैं. इस पौधे को हल्की छंटाई कर मुरझाए हुए फूलों को हटाना भी जरूरी है ताकि नए फूल आते रहें और पौधे को ज्यादा समय खूबसूरती बने रहे.