मगही पान (Magahi Paan), पान की एक पारंपरिक किस्म है जिसकी खेती बिहार में बड़े पैमाने पर होती है. इसकी खास बात यह है कि इसको GI टैग भी मिल चुका है. जिसके कारण इसकी पहचान अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी है. यह पान अपनी उच्च गुणवत्ता, मिठास और अच्छे स्वाद के लिए जाना जाता है. बिहार के किसानों के लिए मगही पान की खेती फायदे का सौदा साबित होती है. इसकी खेती से किसान सालाना औसतन 2 लाख तक कमाई कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं क्या है इस पान की खासियत और बिहार में कहां होती है इसकी खेती.
मगही पान की खासियत
मगही पान की खासियत है कि इसकी पत्तियां बेहद ही कोमल, पतली और चमकदार हरी होती है. इसकी पत्तियों में भरपूर रस और स्वाद होता है इसीलिए इसे ‘रसाला पत्ता’ भी कहा जाता है. इसका स्वाद अन्य पान के मुकाबले ज्यादा मीठा होता है. बात करें इसके फायदों की तो यह पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करते हैं और साथ ही मुंह की दुर्गंध भी दूर करते हैं. पारंपरिक तौर पर लोग मगही पान का सेवन सौंफ, कत्था, चूना और सुपारी के साथ करते हैं.
2018 में मिला था GI टैग
मगही पान एक खास किस्म का पान है जो अपने मीठे स्वाद, अच्छी सुगंध के कारण देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रिय है. इसकी लोकप्रियता के कारण इसे साल 2018 में जीआई टैग दिया गया. जीआई टैग मिलने के बाद मगही पान की पहचान अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच गई. आर्थिक तौर पर भी मगही पान की खेती बिहार के किसानों को मजबूत बनाती है. बाजार में भी इसकी कीमत अन्य पान के मुकाबले ज्यादा है.जिसके कारण इसकी खेती से किसानों को अच्छी कमाई होती है.
बिहार के इन क्षेत्रों में होती है खेती
मगही पान की खेती सबसे ज्यादा बिहार के नालंदा, नवादा, शेखपुरा और गया जिलों में होती है. बिहार के इन इलाकों में मगही पान की खेती करने का कारण है कि यहां की भौगौलिक स्थिति और वातावरण मगही पान की खेती के लिए सबसे सही है. बिहार के इन जिलों में मिट्टी की उर्वरता, नमी बनाए रखने की क्षमता और जल निकासी की उचित व्यवस्था इन इलाकों को मगही पान की खेती के लिए बेस्ट बनाती है.