देश में महंगे हुए अंडे, कीमत 575 रुपये के पार- जानिए क्यों चढ़ रहे हैं दाम

अंडों की कीमतें इसलिए भी ऊंची हैं क्योंकि भारत से अमेरिका, यूएई, कतर, मस्कट, मालदीव और अफ्रीकी देशों में बड़े पैमाने पर अंडों का निर्यात हो रहा है. खास बात यह है कि भारत ने पहली बार अमेरिका को एक करोड़ अंडों का निर्यात किया है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 10 Jul, 2025 | 11:23 AM

देशभर में अंडों की कीमतें इन दिनों चर्चा में हैं। तमिलनाडु के नामक्कल जैसे प्रमुख उत्पादन केंद्रों में अंडों के रेट 575 रुपये प्रति 100 तक पहुंच गए हैं, जो पिछले साल की तुलना में करीब 10-15 फीसदी ज्यादा हैं। इस तेजी के पीछे विदेशों से बढ़ती मांग, घरेलू सरकारी योजनाओं के तहत खपत और कुछ इलाकों में उत्पादन में आई कमी को बड़ी वजह माना जा रहा है।

नामक्कल बना अंडा मंडी का केंद्र

तमिलनाडु के नामक्कल जिले को देश में अंडा उत्पादन का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां जुलाई 2025 में अंडे का औसत दाम 575 रुपये प्रति 100 अंडे रहा, जबकि पिछले साल इसी समय यह 509 रुपये प्रति 100 अंडे था. यानी एक साल में करीब 10-15 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है.

निर्यात से बनी मजबूती

अंडों की कीमतें इसलिए भी ऊंची हैं क्योंकि भारत से अमेरिका, यूएई, कतर, मस्कट, मालदीव और अफ्रीकी देशों में बड़े पैमाने पर अंडों का निर्यात हो रहा है. खास बात यह है कि भारत ने पहली बार अमेरिका को एक करोड़ अंडों का निर्यात किया है.

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार ऑल इंडिया पोल्ट्री एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव वलसन परमेश्वरन बताते हैं, “जब अंडे बाहर जाते हैं, तो देश के अंदर मांग बढ़ जाती है और इससे कीमतें भी ऊपर जाती हैं.”

सरकारी योजनाओं से भी घरेलू मांग बढ़ी

देश के भीतर भी मांग बनी हुई है. मिड-डे मील स्कीम जैसी सरकारी योजनाएं अंडों की खपत को लगातार बढ़ावा दे रही हैं. साथ ही कुछ इलाकों में किसानों ने अपने पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों की संख्या कम कर दी है, जिससे उत्पादन घटा और सप्लाई टाइट हुई.

मौसम और कच्चे माल ने भी दिया साथ

इस बार गर्मी बहुत ज्यादा तीव्र नहीं रही, जिससे पोल्ट्री फार्मिंग को नुकसान नहीं हुआ. साथ ही अंडा उत्पादन में लगने वाला कच्चा माल (जैसे चारा आदि) सस्ता रहा, जिससे पोल्ट्री सेक्टर को राहत मिली है. पिछले साल की तुलना में यह एक राहत भरी स्थिति मानी जा रही है.

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि अब अंडों की मांग थोड़ी धीमी हो सकती है, क्योंकि श्रावण महीना शुरू हो गया है. यह एक पवित्र और सात्विक महीना माना जाता है, जिसमें लोग आमतौर पर मांसाहारी चीजों से दूरी बना लेते हैं, और इसी कारण अंडों की खपत कम हो सकती है. इससे आने वाले दिनों में कीमतों में थोड़ी नरमी देखी जा सकती है.

कर्नाटक पोल्ट्री फार्मर्स एंड ब्रीडर्स एसोसिएशन के महासचिव एमएसआर प्रसाद कहते हैं, “अभी तो खाड़ी देशों को अंडा निर्यात अच्छा चल रहा है, लेकिन अगले कुछ हफ्तों में मांग में कमी आ सकती है.”

हालांकि अभी निर्यात अच्छा चल रहा है, लेकिन 2024-25 में भारत के अंडा और अंडा उत्पादों के कुल निर्यात में लगभग 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. APEDA के अनुसार, यह गिरकर 205 मिलियन डॉलर से 185.98 मिलियन डॉलर रह गया था.

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Published: 10 Jul, 2025 | 11:18 AM

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