आईआईटी इलाहाबाद का कमाल: एआई बनेगा फसल डॉक्टर, अब मिनटों में बताएगा रोग

इस तकनीक से किसान वास्तविक समय में फसल की बीमारी का पता लगा सकते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी और बाहरी सलाह पर निर्भरता कम होगी.

नई दिल्ली | Updated On: 19 Aug, 2025 | 12:16 PM

भारतीय कृषि में तकनीक का उपयोग अब नई ऊंचाइयों को छू रहा है. आईआईटी-आलाहाबाद के शोधकर्ताओं ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जो किसानों को उनके खेत में ही फसल की बीमारी का पता लगाने में मदद करेगी. इससे किसानों को विशेषज्ञों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह तकनीक पौधों की पत्तियों की फोटो और खेत के पर्यावरणीय डेटा का विश्लेषण करके फसल की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी देती है.

एआई और उन्नत तकनीक का संयोजन

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, इस तकनीक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), डीप लर्निंग और फेडरेटेड लर्निंग का उपयोग किया गया है. इसे शोधकर्ता प्रामोद कुमार सिंह ने विकसित किया है. इस मॉडल का नाम CVGG-16 रखा गया है और इसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल Internet of Things में प्रकाशित किया गया है.

मॉडल को वास्तविक खेतों से ली गई तस्वीरों पर प्रशिक्षित किया गया है. इसमें धूल, कम रोशनी और खराब मौसम जैसी परिस्थितियों को ध्यान में रखा गया है. यही इसे भारत के विभिन्न क्षेत्रों और जलवायु परिस्थितियों में भरोसेमंद बनाता है.

मल्टी-कॉन्सेप्ट डेटा फ्यूजन नेटवर्क

CVGG-16 मॉडल सिर्फ तस्वीरों पर भरोसा नहीं करता. यह मिट्टी की नमी, तापमान, आर्द्रता और मौसम के आंकड़ों का भी विश्लेषण करता है. इस तरह यह पौधों की सेहत का गहन और सटीक अध्ययन प्रस्तुत करता है.

परीक्षण और सटीकता

प्रारंभिक परीक्षण में इस मॉडल ने 97.25 फीसदी सटीकता हासिल की. मक्का की फसल में बीमारी की पहचान 96.75 फीसदी और आलू में 93.55 फीसदी सटीक रही. फेडरेटेड लर्निंग का उपयोग करने से किसानों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित होती है. डेटा केंद्रीय सर्वर पर नहीं भेजा जाता, बल्कि खेत के पास ही स्थानीय रूप से प्रशिक्षित होता है.

किसी भी फसल और क्षेत्र में इस्तेमाल

प्रो. मनीष कुमार ने बताया कि यह तकनीक किसी भी फसल और किसी भी क्षेत्र में लागू की जा सकती है. उत्तर भारत के मक्का के खेत हों या दक्षिण भारत के आलू के फार्म, इसका बहु-स्तरीय नेटवर्क हर परिस्थिति में काम कर सकता है. शोधकर्ता इसे मोबाइल एप और स्थानीय भाषा इंटरफेस में विकसित कर छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचाना चाहते हैं.

किसानों के लिए नई उम्मीद

इस तकनीक से किसान वास्तविक समय में फसल की बीमारी का पता लगा सकते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता बेहतर होगी और बाहरी सलाह पर निर्भरता कम होगी. यह तकनीक भारतीय कृषि में एक बड़ा बदलाव ला सकती है और किसानों को स्मार्ट, सटीक और समय पर जानकारी देकर उनके जीवन को आसान बना सकती है.

Published: 19 Aug, 2025 | 12:12 PM

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