इंसान-पशु टकराव रोकेगा मोबाइल ऐप, जंगल के हाथियों पर निगरानी के लिए तकनीक का इस्तेमाल

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की बढ़ती हलचल को देखते हुए अब 'गज रक्षक ऐप' से उनकी निगरानी होगी, जिससे गांवों को समय पर अलर्ट मिलेगा और टकराव टाला जा सकेगा.

नोएडा | Updated On: 3 Oct, 2025 | 05:06 PM

मध्य प्रदेश के मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इन दिनों सिर्फ बाघ ही नहीं, हाथियों की भी धाक है. पिछले कुछ सालों में यहां हाथियों की संख्या काफी बढ़ी है, जिससे इंसानों और हाथियों के बीच टकराव की घटनाएं भी बढ़ रही हैं. इसी चिंता को देखते हुए अब जंगलों में हाथियों पर नजर रखने के लिए एक खास तकनीक का सहारा लिया गया है जिसका नाम है गज रक्षक ऐप.

यह ऐप मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा भोपाल में विश्व बाघ दिवस (29 जुलाई) के मौके पर लॉन्च किया गया. अब यह बांधवगढ़ में पूरी तरह से एक्टिव है और हाथियों की रीयल-टाइम निगरानी कर रहा है.

गज रक्षक ऐप क्या है और कैसे काम करता है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गज रक्षक एक मोबाइल ऐप है जो हाथियों की मूवमेंट, संख्या और व्यवहार की जानकारी रीयल टाइम में देता है. जैसे ही कोई हाथी गांव की ओर बढ़ता है, ऐप तुरंत SMS, पुश नोटिफिकेशन, वॉइस कॉल या सायरन के ज़रिए लोगों को अलर्ट करता है. यह ऐप उन क्षेत्रों में भी काम करता है जहां नेटवर्क कमजोर होता है, क्योंकि इसमें ऑफलाइन मोड की सुविधा भी है. इसके जरिए हाथी पर्यवेक्षक (फॉरेस्ट गार्ड आदि) फोटो अपलोड कर सकते हैं, हाथियों का लोकेशन अपडेट कर सकते हैं और यह भी बता सकते हैं कि हाथी अकेला है या झुंड में. सबसे खास बात- ऐप हाथी की लोकेशन से 10 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी यूज़र्स को तुरंत जानकारी भेज देता है.

बढ़ती आबादी और बढ़ती चुनौतियां

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांधवगढ़ में हाथियों की उपस्थिति नई बात नहीं है, लेकिन पहले उनकी संख्या बहुत कम थी. साल 2018 में लगभग 40 हाथियों का एक झुंड यहां आकर बस गया. अब इनकी संख्या बढ़कर 65 के आसपास पहुंच चुकी है. इन हाथियों की गतिविधियां अब उमरिया, शाहडोल और अनुपपुर जिलों तक फैल चुकी हैं. यह इलाका अब हाथियों के लिए स्थायी आवास बन गया है. DFO श्रद्धा पेन्द्रा के अनुसार, बायावरी रेंज में 19 हाथियों का एक झुंड महीनों से डेरा जमाए हुए है. बांस के घने जंगल, पहाड़ियां और पानी के स्रोत उन्हें यहां टिके रहने के लिए आकर्षित करते हैं.

क्यों चुना हाथियों ने बांधवगढ़ को घर?

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों ने बांधवगढ़ को रहने के लिए इसलिए चुना क्योंकि:-

गांवों के लिए बड़ी राहत बनी तकनीक

हाथियों की संख्या बढ़ने से कई बार गांवों में फसलों का नुकसान, मकानों को नुकसान और कभी-कभी मानव मृत्यु की घटनाएं भी होती हैं. इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए गज रक्षक ऐप बेहद कारगर साबित हो सकता है. जैसे ही कोई हाथी गांव की सीमा के पास आता है, ऐप के जरिए फॉरेस्ट विभाग तुरंत गांववालों को सूचित करता है ताकि वे सतर्क हो सकें. इससे न सिर्फ मानवहाथी संघर्ष कम होगा, बल्कि हाथियों को भी बिना तनाव के उनके क्षेत्र में घूमने की आजादी मिलेगी.

पूरे मध्यप्रदेश में होगा ऐप का विस्तार

यह ऐप केवल बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व तक सीमित नहीं रहेगा. राज्य सरकार इसे दूसरे जिलों और वन क्षेत्रों में भी लागू कर रही है. जिन क्षेत्रों में इसका विस्तार किया जा रहा है, उनमें शामिल हैं:

इन क्षेत्रों में भी हाथियों की आवाजाही देखी जा रही है, इसलिए एक मजबूत निगरानी नेटवर्क तैयार करना जरूरी हो गया है. 2629 सितंबर 2025 के बीच वन अधिकारियों को ऐप के उपयोग का प्रशिक्षण दिया गया, ताकि पूरे सिस्टम को सुचारू रूप से चलाया जा सके.

क्या कहती है सरकार और जनता?

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ऐप की लॉन्चिंग के दौरान कहा, वन्यजीव और मानव जीवन का संतुलन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है. गज रक्षक ऐप इस दिशा में बड़ा कदम है. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि अब उन्हें पहले से हाथियों के आने की जानकारी मिल जाती है, जिससे फसल बच जाती है और जान का खतरा भी कम होता है.

Published: 3 Oct, 2025 | 05:25 PM

Topics: