सुपर सीडर के लिए कितना एचपी ट्रैक्टर जरूरी? सही चुनाव से बचेगा डीजल और बढ़ेगी पैदावार
भारत में सुपर सीडर की कीमत आमतौर पर 80 हजार रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक होती है. इसकी कीमत मशीन की चौड़ाई, ब्लेड की गुणवत्ता और ब्रांड पर निर्भर करती है. सही ट्रैक्टर के साथ सुपर सीडर चलाने से किसान को जुताई, बुवाई और पराली प्रबंधन तीनों काम एक साथ मिल जाते हैं.
धान की कटाई के बाद खेतों में बची पराली हर साल किसानों के लिए बड़ी परेशानी बनती है. इसे जलाना पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है और हटाना आसान भी नहीं होता. ऐसे में गेहूं की बुवाई करने वाले किसानों के लिए सुपर सीडर किसी वरदान से कम नहीं है. लेकिन सुपर सीडर तभी सही तरीके से काम करता है, जब उसके साथ सही क्षमता यानी सही हॉर्स पावर (HP) वाला ट्रैक्टर लगाया जाए. अगर ट्रैक्टर कमजोर हुआ तो न काम ढंग से होगा और न ही लागत बचेगी.
सुपर सीडर क्या है और कैसे करता है काम
सुपर सीडर एक ऐसी आधुनिक कृषि मशीन है, जो एक साथ कई काम कर देती है. यह खेत में पड़ी धान की पराली को काटता है, उसे मिट्टी में मिलाता है और उसी समय गेहूं के बीज की बुवाई भी कर देता है. यानी किसान को अलग-अलग जुताई या पराली हटाने की जरूरत नहीं पड़ती. इसी वजह से सुपर सीडर को आज की खेती में समय, पैसा और मेहनत बचाने वाली मशीन माना जाता है.
सही ट्रैक्टर HP क्यों है जरूरी
सुपर सीडर कोई हल्की मशीन नहीं होती. इसमें रोटावेटर जैसे ब्लेड लगातार मिट्टी और पराली को काटते हैं, ऊपर से सीड ड्रिल बीज डालती है और पूरी मशीन का वजन भी काफी होता है. अगर ट्रैक्टर की ताकत कम होगी तो इंजन पर ज्यादा दबाव पड़ेगा, डीजल ज्यादा जलेगा और बार-बार क्लच व गियर की दिक्कत आएगी. सही HP वाला ट्रैक्टर न सिर्फ मशीन को आसानी से खींचता है, बल्कि लंबे समय तक बिना रुकावट काम भी करता है.
सुपर सीडर के लिए कितना HP ट्रैक्टर सही
अधिकांश भारतीय खेतों के लिए सुपर सीडर चलाने में 45 से 90 HP तक के ट्रैक्टर उपयुक्त माने जाते हैं. हालांकि सही चुनाव खेत के आकार, मिट्टी की किस्म और पराली की मात्रा पर निर्भर करता है. हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी वाले छोटे खेतों में 45 HP का ट्रैक्टर भी ठीक काम कर सकता है. वहीं जहां मिट्टी भारी हो, पराली ज्यादा हो और खेत का रकबा बड़ा हो, वहां 50 HP या उससे ज्यादा ताकत वाला ट्रैक्टर बेहतर रहता है.
45 HP और 50 HP ट्रैक्टर में फर्क
अगर आपके पास 3 से 8 एकड़ तक जमीन है, मिट्टी हल्की है और आप 6 फीट चौड़ा सुपर सीडर इस्तेमाल कर रहे हैं, तो 45 HP का ट्रैक्टर पर्याप्त साबित हो सकता है. लेकिन अगर खेत 10 से 15 एकड़ तक हैं, मिट्टी भारी है और पराली मोटी रहती है, तो 50 HP या उससे ऊपर का ट्रैक्टर लेना ज्यादा सुरक्षित रहता है. ज्यादा HP होने से काम की रफ्तार बढ़ती है और मशीन पर दबाव कम पड़ता है.
सुपर सीडर की कीमत और खर्च
भारत में सुपर सीडर की कीमत आमतौर पर 80 हजार रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक होती है. इसकी कीमत मशीन की चौड़ाई, ब्लेड की गुणवत्ता और ब्रांड पर निर्भर करती है. सही ट्रैक्टर के साथ सुपर सीडर चलाने से किसान को जुताई, बुवाई और पराली प्रबंधन तीनों काम एक साथ मिल जाते हैं, जिससे कुल खेती खर्च में अच्छी बचत होती है.
सही सेटअप और देखभाल से बढ़ेगी उम्र
सुपर सीडर को ट्रैक्टर से जोड़ते समय थ्री-पॉइंट लिंकेज सही तरह से सेट करना जरूरी है. PTO की स्पीड संतुलित रखें और काम के बाद ब्लेड व बेयरिंग के पास जमा मिट्टी साफ करें. समय-समय पर ग्रीसिंग और घिसे हुए ब्लेड बदलने से मशीन लंबे समय तक बेहतर प्रदर्शन देती है.
किसानों के लिए समझदारी भरा फैसला
सुपर सीडर तभी फायदा देगा, जब उसके साथ सही HP वाला ट्रैक्टर चुना जाए. सही चुनाव से न सिर्फ बुवाई समय पर होती है, बल्कि डीजल की बचत, मशीन की लंबी उम्र और बेहतर फसल की नींव भी पड़ती है. आज के दौर में पराली प्रबंधन और टिकाऊ खेती के लिए सुपर सीडर और सही ट्रैक्टर की जोड़ी किसानों के लिए सबसे समझदारी भरा फैसला साबित हो रही है.