लखनऊ के कृषि भवन सभागार में मंगलवार को एक खास कार्यशाला का आयोजन हुआ. इस कार्यशाला की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने की. कार्यक्रम का उद्देश्य था- खेती में सोशल मीडिया का बेहतर उपयोग कर किसानों तक नई जानकारी, सरकारी योजनाएं और आधुनिक तकनीक को तेजी से पहुंचाना.
इस मौके पर राजस्थान से आए सहायक कृषि अधिकारी पिंटू मीणा पहाड़ी मुख्य वक्ता रहे. उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह राजस्थान में सोशल मीडिया को खेती-बाड़ी से जोड़कर किसानों की आय बढ़ाई जा रही है और किस तरह किसान डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए नई-नई तकनीक सीखकर आगे बढ़ रहे हैं.
किसानों को मिलेगा व्हाट्सएप, यूट्यूब और फेसबुक का फायदा
पिंटू मीणा पहाड़ी ने कहा कि अब किसान डिजिटल क्रांति का हिस्सा बन चुके हैं. व्हाट्सएप ग्रुप्स पर किसान तुरंत अपनी फसलों की समस्याएं साझा कर सकते हैं और दूसरे किसानों या विशेषज्ञों से समाधान पा सकते हैं. यूट्यूब चैनलों पर कृषि उपकरणों का लाइव प्रदर्शन और नई तकनीकों की जानकारी मिल सकती है. इससे किसानों को प्रशिक्षण के लिए अलग से कहीं जाना नहीं पड़ेगा. फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर किसान सीधे ग्राहकों से जुड़कर अपनी उपज बेच सकते हैं. इससे बिचौलियों का रोल खत्म होगा और किसानों को बेहतर दाम मिलेगा.
उत्तर प्रदेश में भी अपनाया जाएगा राजस्थान का मॉडल
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने राजस्थान में अपनाए गए इस मॉडल की जमकर सराहना की. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह के प्रयोग बड़े स्तर पर किए जाएं. उन्होंने अधिकारियों और कर्मचारियों से अपील की कि वे विकसित भारत के लिए विकसित उत्तर प्रदेश और विकसित उत्तर प्रदेश के लिए विकसित कृषि के संकल्प को पूरा करने के लिए ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करें.
सोशल मीडिया है दुधारी तलवार, सही इस्तेमाल जरूरी
कृषि सचिव इंद्र विक्रम सिंह ने कार्यशाला में कहा कि सोशल मीडिया एक दुधारी तलवार है. अगर इसका उपयोग सही तरीके से किया जाए तो यह किसानों के लिए वरदान बन सकता है. लेकिन गलत और भ्रामक जानकारी से बचना भी जरूरी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सही और समय पर दी गई जानकारी ही किसानों की जिंदगी बदल सकती है. यही कृषि में नई क्रांति का रास्ता खोलेगी.
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में अधिकारी रहे मौजूद
इस कार्यशाला में कृषि मंत्री और कृषि सचिव के अलावा कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे. इनमें उपकार के सचिव ए.के. सिंह, उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम के पीयूष शर्मा और कृषि विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे. यह आयोजन न सिर्फ किसानों को डिजिटल माध्यम से जोड़ने का संदेश देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अब खेती सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं रही. सोशल मीडिया के जरिए किसान सीधे बाजार से जुड़ेंगे और सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकेंगे.