स्वाद में सुर्खा अमरूद से दो कदम आगे, विदेशों में भी भारी डिमांड.. खेती करते ही बदल जाएगी किस्मत

खास बात यह है कि जीआई टैग मिलने के बाद विदेशों में इस अमरूद की मांग बढ़ गई है. किसान उत्पादक संगठन (FPO) ने APEDA की मदद से विदेशी बाजारों में अमरूद भेजना शुरू कर दिया है. खास गुणवत्ता वाला अमरूद छंटाई  के बाद निर्यात किया जाता है.

नोएडा | Updated On: 30 Nov, 2025 | 02:55 PM

West Bengal Agriculture News: जब भी अमरूद की बात होती है तो लोगों के जेहन में सबसे पहले इलाहाबाद के सुर्खा अमरूद की तस्वीर उभरकर सामने आती है. लोगों को लगता है कि देश में सबसे अधिक स्वादिष्ट और उन्नत अमरूद की किस्म यही है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. पश्चिम बंगाल में उगाए जाने वाला बारुईपुर अमरूद भी किसी मायने में कम नहीं है. यही वजह है कि इसे जीआई टैग भी मिल गया है. इस अमरूद की डिमांड केवल इंडिया ही नहीं, बल्कि लिदेशों में भी खूब है. कोलकाता से बारुईपुर अमरूद की सप्लाई सिंगापुर सहित कई देशों में होती है. 

बारुईपुर अमरूद को अप्रैल 2025 में GI टैग मिला, जिससे यह आधिकारिक रूप से पश्चिम बंगाल की पहचान वाला खास उत्पाद बन गया. इस टैग से इन अमरूदों की खासियत सुरक्षित रहती है और कोई दूसरी जगह इसका नाम इस्तेमाल नहीं कर सकता. इससे स्थानीय किसानों की आमदनी बढ़ी है और वैश्विक पहचान भी मिली है. अगर बारुईपुर अमरूद की खासियत  की बात करें तो यह अपनी की उच्च गुणवत्ता और बेहतर स्वाद के लिए जाना जाता है.

पश्चिम बंगाल के बारुईपुर इलाके में होती है खेती

बारुईपुर अमरूद की खेती पश्चिम बंगाल के बारुईपुर इलाके में होती है. इसलिए इसका नाम बारुईपुर अमरूद पड़ा. यह अमरूद मीठा, सुगंधित और ज्यादा उपज देने वाला होता है. इसके ग्राफ्टेड पेड़ कम देखभाल में बढ़ते हैं, रोग-प्रतिरोधी  हैं और सालभर फल दे सकते हैं. इसलिए ये घर के बगीचों, छतों और वाणिज्यिक खेती दोनों के लिए उपयुक्त हैं. 

कोलकाता और पूरे बंगाल में होती है सप्लाई

बारुईपुर अमरूद की खेती पश्चिम बंगाल में सैकड़ों एकड़ में होती है. बारुईपुर इलाके के किसान इसे नकदी फसल के रूप में उगाते हैं, क्योंकि इसकी मांग और उपज दोनों अधिक हैं. खास बात यह है कि किसान अधिक उपज पाने के लिए हाई-डेंसिटी प्लांटिंग, कैनोपी मैनेजमेंट और प्रूनिंग का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे बारुईपुर अमरूद को कोलकाता और पूरे बंगाल में सप्लाई किया जाता है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मांग भी खूब है.

सिंगापुर में भेजा गया 500 किलो अमरूद

खास बात यह है कि जीआई टैग मिलने के बाद विदेशों में इस अमरूद की मांग बढ़ गई है. किसान उत्पादक संगठन (FPO) ने APEDA की मदद से विदेशी बाजारों में अमरूद भेजना शुरू कर दिया है. खास गुणवत्ता वाला अमरूद छंटाई  के बाद निर्यात किया जाता है. हाल ही में 500 किलो का पहला पार्सल सिंगापुर के एक बड़े फल कारोबारी को भेजा गया. वहीं, सिंगापुर से मिली अच्छी प्रतिक्रिया से कोलकाता के व्यापारी काफी उत्साहित हैं. व्यापारियों का कहना है कि अब इस अमरूद के लिए निर्यात का रास्ता खुल गया है.

किसानों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण

वहीं, जीआई टैग मिलने के बाद किसानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार अमरूद उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा है, ताकि प्राकृतिक पोषक तत्व भी सुरक्षित रहें. राज्य के बागवानी विभाग के विशेषज्ञ पिछले कुछ महीनों से फसल की निगरानी  कर रहे हैं. APEDA के अनुसार, निर्यात से पहले क्वारंटीन प्रमाणन परीक्षण किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फल उच्च गुणवत्ता के हों. सिंगापुर जैसे देशों में निर्यात नियम बहुत सख्त नहीं हैं, लेकिन किसानों को सलाह दी गई है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर के फल ही भेजें, क्योंकि इससे राज्य और देश की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है.

क्या होता है जियोग्राफिकल इंडिकेशन

GI मतलब जियोग्राफिकल इंडिकेशन होता है, जो एक एक खास पहचान वाला लेबल होता है. यह किसी चीज को उसके इलाके से जोड़ता है. आसान भाषा में कहें तो ये GI टैग बताता है कि कोई प्रोडक्ट खास तौर पर किसी एक तय जगह से आता है और वही उसकी असली पहचान है. भारत में साल 1999 में ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट’ लागू हुआ था. इसके तहत किसी राज्य या इलाके के खास प्रोडक्ट को कानूनी मान्यता दी जाती है. जब किसी प्रोडक्ट की पहचान और उसकी मांग देश-विदेश में बढ़ने लगती है, तो GI टैग के जरिए उसे आधिकारिक दर्जा मिल जाता है. इससे उसकी असली पहचान बनी रहती है और वह नकली प्रोडक्ट्स से सुरक्षित रहता है.

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Published: 30 Nov, 2025 | 02:45 PM

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