तेलंगाना में 40 फीसदी घटा सब्जी का रकबा, किसान इस वजह से कर रहे दूसरी फसलों की खेती
तेलंगाना के आदिलाबाद में सब्जी की खेती तेजी से घट रही है. मजदूरी बढ़ने, लागत बढ़ने और बारिश से टमाटर फसल नष्ट होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. कोविड के बाद उत्पादन और कम हुआ. किसान सब्सिडी, मजबूत FPO और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग कर रहे हैं ताकि खेती दोबारा टिकाऊ बन सके.
Telangana News: तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में पिछले कुछ सालों से सब्जी की खेती लगातार घट रही है. क्योंकि किसान अब दूसरी फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि लगभग 40 फीसदी जमीन पर अब किसान मक्का और ऐसी फसलों की खेती कर रहे हैं, जिनमें कम खर्च और कम मजदूर लगते हैं. यानी सब्जी के रकबे में 40 फीसदी की गिरावट आई है. दरअसल, मजदूरों की कमी, बढ़ती लागत और बार-बार होने वाले नुकसान ने सब्जी की खेती को मुश्किल बना दिया है. इस साल टमाटर किसानों को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि तेज बारिश ने फसल बर्बाद कर दी. कई किसान, जो पहले प्रति एकड़ 25 से 30 हजार रुपये कमा लेते थे, इस बार अपनी पूरी लागत भी नहीं निकाल पाए.
धनौरा गांव के किसान बोयर दुलाजी ने एक एकड़ में 50,000 रुपये लगाकर टमाटर उगाए थे, लेकिन बारिश ने पूरी फसल तबाह कर दी. पिछले साल उन्हें लगभग 400 क्रेट टमाटर मिले थे, पर इस बार उन्हें नुकसान ही हुआ. अधिकारियों ने 25 फीसदी मुआवजे की बात तो कही, पर अभी तक कुछ मिला नहीं है. उन्होंने कहा कि सब्जी की खेती को विभाग से कोई खास प्रोत्साहन भी नहीं मिलता. एक अन्य किसान, रामू का टमाटर भी बारिश से खराब हो गया. इसलिए वह अब रबी में दूसरी व्यावसायिक फसलों की ओर जाने की सोच रहा है.
25,000 एकड़ में होती थी सब्जियों की खेती
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 महामारी से पहले इस क्षेत्र में लगभग 25,000 एकड़ में सब्जियों की खेती होती थी, लेकिन महामारी के बाद यह क्षेत्र लगातार घटता गया. इन्दरवेली और गुडिहत्नूर मंडल, जो कभी बेंगलुरु और दिल्ली तक टमाटर भेजने वाले प्रमुख क्षेत्र थे, अब वहां उत्पादन कम होता जा रहा है. किसानों के मुताबिक मजदूरी बढ़ना, मजदूरों की कमी, कम निवेश वाली MSP फसलों की तरफ रुझान, युवाओं में खेती के प्रति कम दिलचस्पी, पट्टे पर खेती बढ़ना, जमीन किराया बढ़ना और बड़े खेतों पर निगरानी कम होना इसके मुख्य कारण हैं.
योजनाओं के जरिए सब्जी की खेती
ऐसे में किसान चाहते हैं कि सरकार सब्सिडी वाली योजनाओं के जरिए सब्जी की खेती को बढ़ावा दे और किसान उत्पादक संगठनों को मजबूत करे, ताकि उत्पादन और मार्केटिंग दोनों सुधर सकें. उनका कहना है कि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, फसल कटाई के बाद की सुविधाएं और किसानों व्यापारियों खरीदारों के बीच संतुलित व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि भारी आवक के समय उन्हें औने- पौने दाम पर बेचने की मजबूरी न हो. अधिकारी भी किसानों को सालभर सब्जी उगाने के लिए मार्गदर्शन देने की अपील कर रहे हैं, क्योंकि इससे कई बार फसल मिलती है और दाम भी बेहतर रहते हैं.