निगरानी में चूक हुई तो रुक जाएगी झींगे की बढ़वार, ऐसे रखें पूरा ख्याल

झींगा पालन में बढ़वार के लिए समय-समय पर निगरानी जरूरी है. इसके लिए तालाब की लोकेशन, मिट्टी की क्वालिटी और पानी की व्यवस्था महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 16 Jun, 2025 | 08:00 AM

झींगा पालन से अच्छी कमाई हो सकती है, लेकिन इसके लिए हर स्टेप पर पूरी सावधानी जरूरी है. अगर निगरानी में थोड़ी भी लापरवाही हुई तो झींगे की बढ़वार रुक सकती है और पूरे प्रोडक्शन पर असर पड़ेगा. झींगा कब कितना बढ़ रहा है, इसका समय-समय पर निरीक्षण करना जरूरी है. साथ ही, बड़े झींगे समय रहते निकालना भी जरूरी होता है ताकि छोटे झींगों को बढ़ने का पूरा मौका मिले. तालाब बनाते वक्त उसकी सही लोकेशन और मिट्टी की क्वालिटी का ध्यान रखना चाहिए ताकि पानी और मिट्टी की समस्या ना हो. अच्छी मिट्टी ही झींगा पालन की नींव रखती है.

समय-समय पर करनी होगी बढ़वार की जांच

झींगा पालन में झींगों की बढ़वार पर नजर रखना सबसे जरूरी काम है. आमतौर पर अगर सबकुछ अनुकूल रहे तो 170 से 180 दिन में एक झींगा लगभग 100 ग्राम वजन का हो जाता है. लेकिन यह तभी संभव है जब आप नियमित रूप से तालाब में जाल डालकर झींगों की बढ़वार की जांच करते रहें. इससे पता चलता है कि झींगे सही से बढ़ रहे हैं या नहीं. साथ ही, समय-समय पर बड़े झींगों को निकालते रहना चाहिए ताकि छोटे झींगों को पर्याप्त जगह और खाना मिल सके.

तालाब बनाते समय रखें इन बातों का ध्यान

झींगा पालन शुरू करने से पहले तालाब की सही जगह चुनना बेहद जरूरी है. कोशिश करें कि तालाब सड़क से जुड़ा हो ताकि झींगे को बाजार तक आसानी से ले जाया जा सके. ध्यान दें कि जगह ऐसी हो जहां बाढ़ का खतरा न हो और मिट्टी से पानी भी बाहर न रिसे. इसके अलावा तालाब में पानी भरने और निकालने की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि जरूरत के समय पानी को बदला जा सके. अगर ये व्यवस्थाएं पहले से ठीक होंगी तो पालन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी.

मिट्टी की जांच बहुत जरूरी

तालाब बनाने से पहले मिट्टी की जांच भी जरूरी है. हरियाणा सरकार के मत्स्य पालन विभाग के मुताबिक, सबसे अच्छी मिट्टी वही मानी जाती है जिसमें 40 फीसदी रेत, 20 फीसदी दोमट और 40 फीसदी चिकनी मिट्टी होनी चाहिए. इसका रंग काला या भूरा हो तो और अच्छा है. वहीं, नमी 35 से 40 फीसदी तक होनी चाहिए और पानी रोकने की क्षमता भी 40 फीसदी होनी चाहिए. इसके अलावा, मिट्टी में फास्फेट 0.5 से 2.0 मिलीग्राम/100 ग्राम के बीच होना चाहिए. वहीं, क्षारीयता 0 से 150 और कठोरता 50 से 180 के बीच रहे तो तालाब झींगा पालन के लिए उपयुक्त माना जाता है.

झींगे की प्रमुख प्रजातियां

मीठे पानी का महाझींगा- मैक्रोब्रैकियम रोजनवर्गी
भारतीय नदी का झींगा- मैक्रोब्रैकियम माल्कल्म सौनी
भारतीय नदी झींगा- मैक्रोब्रैकियम विरमानीकम चौपराई

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Published: 16 Jun, 2025 | 08:00 AM

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