बादलों का वजन कितना होता है? जानिए कैसे बनते हैं बादल और क्यों फटकर मचा देते हैं तबाही
वैज्ञानिकों के अनुसार, एक बड़ा बादल सैकड़ों हाथियों के वजन जितना पानी अपने भीतर छिपाए रखता है. सोचिए, आपके सिर के ऊपर लाखों लीटर पानी तैर रहा होता है और आपको एहसास तक नहीं होता.
क्या आपने कभी सोचा है कि आसमान में तैरते बादल असल में कितने भारी होते हैं? हम जब उन्हें देखते हैं तो लगता है जैसे रूई के फाहे हों, हल्के-फुल्के और नरम. लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. वैज्ञानिकों के अनुसार, एक बड़ा बादल सैकड़ों हाथियों के वजन जितना पानी अपने भीतर छिपाए रखता है. सोचिए, आपके सिर के ऊपर लाखों लीटर पानी तैर रहा होता है और आपको एहसास तक नहीं होता. तो चलिए आज जानते हैं बादलों से जुड़ी हर एक बात.
बादल कैसे बनते हैं?
बादल असल में पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों और बर्फ के छोटे-छोटे कणों का समूह होते हैं. हवा में हमेशा नमी यानी वॉटर वेपर मौजूद रहती है. जब ये नमी ठंडी हवा से मिलती है, तो छोटे-छोटे कणों में बदल जाती है और इन्हीं से बादल बनते हैं. ये बिल्कुल ऐसे है जैसे भाप ठंडी होकर पानी की बूंदों में बदल जाए.
कब होती है बारिश?
बादलों में मौजूद बूंदें बहुत हल्की होती हैं, इसलिए वे हवा के साथ तैरती रहती हैं. लेकिन जब ये बूंदें आपस में मिलकर बड़ी और भारी हो जाती हैं, तो उनका वजन बढ़ जाता है. तब धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति उन्हें खींच लेती है और ये बूंदें बारिश के रूप में गिरने लगती हैं.
बादल क्यों फटते हैं?
कभी-कभी पहाड़ी इलाकों में अचानक बादल फट जाते हैं. इसका मतलब है कि बहुत सारा पानी एक छोटे से इलाके में कुछ ही मिनटों में गिर जाता है. मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि जब बादल बहुत ज्यादा नमी लेकर चलते हैं और उनकी राह में कोई बाधा (जैसे पहाड़) आ जाती है, तो पानी अचानक बहुत तेजी से बरसने लगता है. यही बादल फटना कहलाता है.
ओले क्यों गिरते हैं?
बरसात के समय कई बार पानी के साथ छोटे-छोटे बर्फ के टुकड़े भी गिरते हैं, जिन्हें ओले कहते हैं. दरअसल, बादलों के भीतर कई जगह तापमान बहुत कम हो जाता है. वहां मौजूद बूंदें जमकर बर्फ बन जाती हैं. जब इन बर्फ के टुकड़ों का वजन बढ़ जाता है, तो वे नीचे गिरते हैं. अगर रास्ते में गरम हवा उन्हें पूरी तरह पिघला नहीं पाती, तो वे धरती पर बर्फ के गोल-गोल टुकड़ों के रूप में पहुंचते हैं.
बादल क्यों गरजते हैं?
आपने देखा होगा कि बरसात से पहले बादल गरजते हैं और बिजली चमकती है. ये इसलिए होता है क्योंकि बादलों में मौजूद जलकण आपस में टकराकर चार्ज हो जाते हैं. कुछ धनात्मक (+) और कुछ ऋणात्मक (–) चार्ज. जब ये मिलते हैं, तो बिजली बनती है. पहले चमक दिखती है क्योंकि रोशनी की गति तेज होती है, और फिर गरज सुनाई देती है क्योंकि आवाज की गति धीमी होती है.
बादलों का वजन कितना होता है?
अगर आप सोच रहे हैं कि बादल इतने हल्के कैसे तैरते हैं, तो जान लीजिए कि एक औसत बादल का वजन 100 हाथियों जितना हो सकता है! वैज्ञानिकों का अनुमान है कि एक वर्ग मील के क्षेत्र में सिर्फ एक इंच बारिश करीब 17 मिलियन गैलन पानी बरसा सकती है. यानी बादल छोटे दिखते हैं, लेकिन उनका वजन लाखों किलो तक हो सकता है.