ड्रोन दीदियों को खूब मिल रहे खाद-कीटनाशक छिड़काव के ऑर्डर, इन चुनौतियों ने बढ़ा रखी है परेशानी
Drone Didi Scheme: रांची जिले की एक ड्रोन दीदी बताती हैं कि ड्रोन से छिड़काव करने के लिए उन्हें ऑर्डर तो अच्छे मिल रहे हैं. लेकिन कई चुनौतियां भी उनके सामने आती हैं. सबसे पहली समस्या ड्रोन को खेतों में ले जाने की आती है. क्योंकि यहां खेतों तक वाहन ले जाना संभव नहीं है.
देश में कृषि को आधुनिक और तकनीक से लैस बनाने की तैयारी चल रही है. खेतों में नई तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. झारखंड के सुूदूर हिस्सों में भी ग्रामीण महिलाओं को कृषि ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण दिया गया है और वो ड्रोन दीदी बनकर काम कर रही हैं. राज्य के खेतों में आधुनिक ड्रोन तकनीक से नैनो यूरिया और दवाओं का छिड़काव करते देखना अच्छा लगता है लेकिन इसके पीछे ड्रोन दीदियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें ड्रोन के संचालन से लेकर यहां की भौगोलिक परिस्थितियों से चुनौतियां मिल रही हैं.
ड्रोन दीदियों को ऑर्डर तो मिल रहे पर चुनौतियां कम नहीं
रांची जिले की एक ड्रोन दीदी बताती हैं कि ड्रोन से छिड़काव करने के लिए उन्हें ऑर्डर तो अच्छे मिल रहे हैं. लेकिन कई चुनौतियां भी उनके सामने आती हैं. सबसे पहली समस्या ड्रोन को खेतों में ले जाने की आती है. क्योंकि यहां खेतों तक वाहन ले जाना संभव नहीं है. ड्रोन अधिक वजन का नहीं है लेकिन उसे उठाकर पतली पगडंडियों में चलना परेशानी भरा होता है. खास कर बारिश के मौसम में जब धान के खेतों में छिड़काव करना होता है तो परेशानी और बढ़ जाती है. क्योंकि उस समय पगडंडियां फिसलन भरी होती है. ऐसे में गिरने का डर रहता है और ड्रोन के टूटने का डर बना रहता है.
ड्रोन को खेत तक ले जाने में दिक्कतें आ रहीं
आस-पास के गांवों से अगर छिड़काव करने के लिए ऑर्डर आता है तो फिर ड्रोन को ले जाने के लिए दूसरे पर निर्भर होना पड़ता है. इससे ट्रांसपोर्टेशन का खर्च बढ़ जाता है और उनकी कमाई कम हो जाती है. एक और समस्या बैटरी की आती है. ड्रोन की बैटरी अधिक देर तक नहीं चलती है. अगर खेत में चलाते वक्त डाउन हो जाए तो फिर चार्ज करने के लिए वापस घर आना पड़ता है. इसलिए एक बार खेत ले जाने पर अधिक क्षेत्र में छिड़काव नहीं कर सकते हैं. ड्रोन दीदी ने कहा कि गन्ना, मक्का धान और गेंहू में छिड़काव करने के लिए ड्रोन सबसे सही है. बाकी सब्जियों में छिड़काव करने पर ड्रोन के पंखों की हवा के फूल झड़ जाते और पौधे भी टूट जाते हैं.
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छोटी जोत के खेत होना भी ड्रोन दीदियों के लिए मुसीबत बना
झारखंड में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या अधिक है. यहां के किसानों के पास छोटी जोत जमीन है इसलिए भी छिड़काव करने में परेशानी होती है. क्योंकि दो से तीन मिनट में छोटे खेत में छिड़काव हो जाता है, और सिर्फ दो से तीन मिनट का छिड़काव करने के लिए के लिए ड्रोन को उठाकर खेत में ले जाना पड़ता है. इसके अलावा अगर छिड़काव के दौरान हवाएं चलती हैं तो फिर दवा और खाद उड़कर दूसरे खेतों में भी चला जाता है. क्योंकि खेत छोटे होते हैं. इससे दूसरे खेत के किसान नाराज होते हैं और उस नाराजगी का सामना ड्रोन दीदियों को करना पड़ता है.