30 लाख टन धान बेचने पर इस राज्य को हो सकता है 3600 करोड़ का नुकसान, ये है वजह

छत्तीसगढ़ सरकार को 30 लाख टन सरप्लस धान बेचने पर 3,600 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है, क्योंकि व्यापारियों ने कम कीमत पर खरीदारी की पेशकश की है.

नोएडा | Updated On: 6 May, 2025 | 02:15 PM

छत्तीसगढ़ सरकार को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि व्यापारियों ने कम कीमत पर धान खरीदने की पेशकश की है. ऐसे में राज्य सरकार के सामने 30 लाख टन से ज्यादा सरप्लस धान बेचने में मुश्किलें आ रही हैं. अगर वह खरीद रेट से कम कीमत पर व्यापारियों को धान बेचती है, तो उसे 3,000 से 3,600 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. दरअसल, मांग में कमी के चलते राज्य एजेंसी को चार कैटेगरी के धान के लिए 1,900 रुपये से 2,100 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रिजर्व प्राइस तय करना पड़ा है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, नीलामी के पहले चरण में 4 लाख टन धान बेचे जाने की संभावना है, क्योंकि राज्य सरकार ने रिजर्व प्राइस को मंजूरी दी है. चूंकि बेचे गए धान की मात्रा बहुत कम है. ऐसे में राज्य सरकार ने अगले चरण में बाकी बची हुई मात्रा को फिर से नीलाम करने का निर्णय लिया है. छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (MARKFED), जो सरकार की ओर से धान खरीदता है, ने केंद्रीय पूल के लिए केवल 104.48 लाख टन धान लेने की केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद, 33 लाख टन अतिरिक्त धान को खुले बाजार में बेचने का निर्णय लिया. यह फैसला इस वजह से लिया गया, क्योंकि राज्य सरकार ने MSP से ज्यादा कीमत पर धान खरीदी थी. 2023-24 में, केंद्र ने छत्तीसगढ़ से लगभग 124 लाख टन धान खरीदी थी.

ग्रेड ए धान की कीमत तय

रिजर्व प्राइस के अनुसार, नए बोरों में ग्रेड ए धान की कीमत 2,100 रुपये प्रति क्विंटल और पुराने बोरों में 2,050 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. सामान्य किस्म (मुख्य रूप से स्वर्णा किस्म) का मूल्य नए बोरों में 1,950 रुपये प्रति क्विंटल और पुराने बोरों में 1,900 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है. 2024-25 के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के अनुसार, ग्रेड ए धान का MSP 2,320 रुपये प्रति क्विंटल और सामान्य किस्म का 2,300 रुपये प्रति क्विंटल था.

145 लाख टन धान का उत्पादन

विशेषज्ञ कुछ राज्यों द्वारा MSP के ऊपर बोनस घोषित किए जाने पर चिंता जता रहे हैं, क्योंकि इससे खुले बाजार में कीमतों और उपलब्धता पर असर पड़ रहा है. हालांकि, केंद्र सरकार चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि कई किसान उच्च उपज वाली किस्मों को केवल सरकार को बेचने के उद्देश्य से उगा रहे हैं. इसके चलते, विशेष किस्म के चावलों की उपलब्धता कम हो गई है, जिनकी अब ज्यादा खपत हो रही है. साल 2024-25 में छत्तीसगढ़ का धान उत्पादन अनुमानित 127 लाख टन धान रहने का है, जबकि 2023-24 में यह 145 लाख टन धान था.

छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2.55 करोड़

छत्तीसगढ़ की कुल 2.55 करोड़ की आबादी में से 2 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत कवर हैं और उन्हें हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो मुफ्त अनाज मिलते हैं. केंद्र सरकार राज्य को हर साल करीब 14 लाख टन चावल (कोई गेहूं नहीं) आवंटित करती है और इसका उठाव लगभग 100 प्रतिशत होता है. राज्य में किसान केवल खरीफ सीजन में धान उगाते हैं, और रबी सीजन में बहुत कम मात्रा में धान बोया जाता है, जिसे उत्पादन अनुमान में शामिल नहीं किया जाता.

किसानों को मिले 13,289 करोड़ रुपये

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विशु देव साय ने 12 मार्च पिछले साल ‘कृषक उन्नति योजना’ शुरू की थी, जिसका उद्देश्य किसानों को इनपुट सहायता प्रदान करना था. इस योजना के तहत 13,289 करोड़ रुपये की राशि 24.72 लाख धान उत्पादक किसानों को दी गई, जिन्होंने सरकार से 2,203 रुपये प्रति क्विंटल (ग्रेड ए किस्म) के MSP पर धान बेचा. साय ने कहा कि किसानों को MSP के मुकाबले जो भी अंतर था, वह भुगतान किया गया. भारतीय जनता पार्टी ने 2023 विधानसभा चुनावों के दौरान किसानों से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीदने का वादा किया था.

Published: 6 May, 2025 | 02:10 PM