गाय के गोबर से बायोप्लास्टिक, जैविक खाद और इको प्रोडक्ट बनेंगे, सीएम योगी की पहल

उत्तर प्रदेश में सीएम योगी की पहल से गोबर से बायोप्लास्टिक, जैविक खाद और इको-प्रोडक्ट्स बनेंगे. इससे पर्यावरण संरक्षण, गांवों में रोजगार और गोशालाओं की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा.

नोएडा | Published: 1 Aug, 2025 | 03:30 PM

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जो ना सिर्फ पर्यावरण को साफ रखने में मदद करेगा, बल्कि गांवों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच और प्रेरणा से अब प्रदेश में निराश्रित गाय के गोबर से बायोप्लास्टिक, जैविक खाद, इको-पेपर, बायोगैस जैसे कई उपयोगी उत्पाद तैयार किए जाएंगे. यह योजना प्लास्टिक के विकल्प तैयार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक शुरुआत है, जो आने वाले समय में पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकती है.

गोबर से तैयार होंगे इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स

उत्तर प्रदेश में हर दिन औसतन 54 लाख किलोग्राम गोबर उत्पन्न होता है. अब इसी गोबर से वैज्ञानिक तकनीक की मदद से बायोप्लास्टिक, जैव-पॉलिमर, इको-पेपर, बोर्ड, बायोटेक्सटाइल, वस्त्र, बायोगैस और कम्पोस्ट बनाए जाएंगे. इससे प्लास्टिक प्रदूषण पर काबू पाने में मदद मिलेगी और गोबर का सही उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा. इस तरह प्रदेश प्लास्टिक के विकल्प खोजने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.

गांवों में बढ़ेगा रोजगार, महिलाएं बनेंगी उद्यमी

इस योजना से लाखों ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा. खास बात यह है कि इसमें गांव की महिलाएं भी लघु उद्योगों से जुड़ सकेंगी, जिससे उनके आत्मनिर्भर बनने का रास्ता खुलेगा. गोशालाएं केवल पशु संरक्षण केंद्र न रहकर अब रोजगार और उत्पादन का केंद्र बनेंगी.

गोशालाएं बनेंगी आत्मनिर्भर, खेती होगी जैविक

गो सेवा आयोग ने इस योजना को हर गांव ऊर्जा केंद्र मॉडल से जोड़ा है. इसके अंतर्गत गोबर आधारित बायोगैस से ऊर्जा तैयार की जाएगी. इससे न केवल गांवों में बिजली और ईंधन की जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि प्राकृतिक और जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा. साथ ही, गोशालाएं अब अपने संचालन के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रहेंगी, बल्कि खुद ही राजस्व पैदा कर सकेंगी.

अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश

डॉ. शुचि वर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर (बायोटेक्नोलॉजी), दिल्ली विश्वविद्यालय ने गोबर से बायोप्लास्टिक बनाने की तकनीक विकसित की है, जो अब उत्तर प्रदेश में लागू की जा रही है. इस योजना से प्रदेश को न केवल राष्ट्रीय पहचान मिलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उत्तर प्रदेश की छवि मजबूत होगी.

 

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