India New Zealand Deal: किसानों के हित में सशर्त होगा भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार

न्यूजीलैंड सहित अन्य देशों के साथ भारत सरकार द्वारा एफटीए करने से कृषि उत्पादों के निर्यात में विविधता आने के साथ उत्पादकता भी बढेगी. सरकार ने उम्मीद जताई है कि न्यूजीलैंड के साथ एफटीए को पूरी तरह से लागू होने में सात से आठ महीने का समय लगेगा. इसमें भारत से होने वाले निर्यात पर टैरिफ में शत प्रतिशत छूट मिलेगी.

नोएडा | Updated On: 24 Dec, 2025 | 06:21 PM

भारत ने अमेरिका द्वारा टैरिफ नियमों को थोपे जाने के जवाब में अपने देश के किसानों का हित साधने के लिए तमाम देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मुख्य हथियार बनाया है. इस कड़ी में ब्रिटेन के साथ पहला एफटीए होने के बाद अब यह सिलसिला आगे बढते हुए न्यूजीलैंड तक जा पहुंचाा है. भारत ने इन सभी देशों के साथ एफटीए को अंतिम रूप देने में भारतीय किसानों के हितों को सबसे ऊपर रखने को प्राथमिकता दी है. इसके तहत जो भी समझौते हो रहे हैं उनके माध्यम से भारतीय किसानों को कृषि उपज के लिए नया बाजार मिल सके, साथ ही समझौते वाले देश के कृषि उत्पादों से भारतीय बाजार में स्थानीय कृषि उपज की कीमत प्रभावित न हो, इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है.

सेब, कीवी और शहद का सर्शत आयात होगा

पिछले कुछ समय से भारत में सेब के किसानों को न्यूजीलैंड से आयात होने वाले सेब से स्थानीय बाजार में मिल रही कड़ी चुनाैती को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने अब न्यूजीलैंड के साथ एफटीए को अंतिम रूप दे दिया है. इसमें न केवल सेब, बल्कि कीवी और शहद के आयात को भी सर्शत रखा गया है. इस मामले में न्यूनतम आयात शुल्क भी लागू रहेगा. एफटीए के तहत सेब, कीवी, मुनका शहद और एल्बुमिन जैसे चुनिंदा कृषि उत्पादों के लिए शुल्क दर रेट (टीआरक्यू) आधारित कोटा प्रणाली को अपनाया गया है. सरकार का दावा है कि इससे गुणवत्ता युक्त आयात, उपभोक्ताओं के लिए बेहतर विकल्प और किसानों के हितों का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा.

गौरतलब है कि भारत में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बागवानी फसलों के साथ मधुमक्खी पालन सहित अन्य प्रकार के पशुपालन को लगातार प्रोत्साहन दिया जा रहा है. वहीं न्यूजीलैंड से सेब, कीवी और शहद का भारत में आयात लगातार बढने के कारण ये उत्पाद उपजाने वाले देश के किसानों को उचित कीमत नहीं मिल पा रही है. कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर सेब और कीवी की खेती करने वाले किसान उपज उचित मूल्य न मिल पाने से परेशान हैं. वहीं न्यूजीलैंड में उपजे सेब और कीवी की गुणवत्ता बेहतर होने के कारण भारतीय बाजार में इनकी मांग भी ज्यादा है. इसके मद्देनजर अब सरकार ने न्यूजीलैंड के साथ एफटीए के माध्यम से अपने किसानों के हित सुरक्षित करने की कारगर पहल की है.

न्यूजीलैंड से आएगा 31,392 टन सेब

ज्ञात हो कि भारत में हर साल 5.2 लाख टन सेब का आयात होता है. इसमें न्यूजीलैंड की हिस्सेदारी 31,392 टन है. एफटीए लागू होने के बाद पहले साल 32500 टन सेब के आयात पर न्यूजीलैंड को टैरिफ में छूट मिलेगी. यह कोटा छह साल में बढ़कर 45 हजार टन हो जाएगा. इस पर 25 फीसदी टैरिफ के साथ 1.25 डॉलर प्रति किग्रा की दर से न्यूनतम आयात शुल्क भी लगेगा. तय कोटा से अधिक आयात होने पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगेगा. इस करार के तहत भारत ने न्यूजीलैंड से सेब, कीवी और शहद के आयात की सीमा तय कर दी है. इसके फलस्वरूप न्यूजीलैंड से सेब, शहद और कीवी के सीमित आयात पर ही टैरिफ में 50 फीसदी की छूट मिलेगी.

इतना ही नहीं, भारतीय किसान अपने खेत में उपजने वाले सेब, कीवी और शहद की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर का बना सकें, इसके लिए एफटीए में अलग से शर्त जोड़ी गई है. इसके तहत भारत में सेब, कीवी और शहद की उत्पादकता, गुणवत्ता और क्षेत्रीय क्षमताओं में सुधार के लिए न्यूजीलैंड अपनी विशेषज्ञता के साथ आदान प्रदान के लिए पूरा तकनीकी सहयोग करेगा. इसके लिए न्यूजीलैंड के सहयोग से कृषि उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की जाएगी. साथ ही बेहतर गुणवत्ता वाले बीज, खाद और अन्य रोपण सामग्री भी भारतीय किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी. इसमें न्यूजीलैंड से बागवानी प्रबंधन की तकनीक, उपज कटने के बाद ग्रेडिंग, पैकिंग और आपूर्ति के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग मिलेगा.

करार के तहत यह प्रावधान भी किया गया है कि इन तीनों कृषि उत्पादों के सीमित आयात पर भारत सरकार पूरी तरह से निगरानी रखेगी. न्यूजीलैंड को सेब, कीवी और मुनका शहद के आयात पर टैरिफ में मिलने वाली छूट की निगरानी संयुक्त कृषि उत्पादकता परिषद (जेएपीसी) करेगी. वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि न्यूजीलैंड के साथ एफटीए के तहत होने वाले कारोबार को स्थानीय स्तर पर कृषि उपज को उचित बाजार मिल सके, इसके लिए बाजार के सभी प्रभावी कारकों के बीच संतुलन कायम किया जाएगा.

भारतीय किसानों के उत्पादों को वैश्विक बाजार मिलने का दावा

एफटीए में कहा गया है कि भारत में बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले सेब उपजाने वाले और टिकाऊ मधुमक्खी पालन कर रहे किसानों के लिए सरकार न्यूजीलैंड के सहयोग से विशेष परियोजनाएं भी चलाएगी. जिससे भारतीय किसानों के इन उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहुंचने का मौका मिल सके. इससे गुणवत्ता मानकों के पालन में भी सुधार होगा. इस बीच न्यूजीलैंड ने भारतीय कृषि उत्पादों को जीआई टैग देने के लिए अपने कानून में बदलाव करने की भी शर्त को मंजूरी दे दी है. इसके लिए न्यूजीलैंड ने जीआई पंजीकरण कानून में बदलाव कर भारतीय कृषि उत्पादों को मान्यता देने की कवायद शुरू कर दी है.

गौरतलब है कि वर्तमान व्यवस्था में न्यूजीलैंड के जीआई कानून के तहत भारत में बनी शराब और स्पिरिट का ही पंजीकरण किए जाने का प्रावधान है. अब कानून में बदलाव के बाद भारत का बासमती चावल, कांगड़ा और दार्जिलिंग की चाय, प्रयागराज का सुरखा, तंजावुर की पेंटिंग कुल्लू के शॉल मैसूर और चंदेरी रेशम के कपडे, कश्मीरी अखरोट की लकड़ी के उत्पाद, लखनऊ की जरदोजी, फर्रुखाबाद की छापा पेंटिंग, काला नमक चावल और कठिया गेहूं का दलिया आदि शामिल है.

जानकारों का मानना है कि न्यूजीलैंड सहित अन्य देशों के साथ भारत सरकार द्वारा एफटीए करने से कृषि उत्पादों के निर्यात में विविधता आने के साथ उत्पादकता भी बढेगी. सरकार ने उम्मीद जताई है कि न्यूजीलैंड के साथ एफटीए को पूरी तरह से लागू होने में सात से आठ महीने का समय लगेगा. इसमें भारत से होने वाले निर्यात पर टैरिफ में शत प्रतिशत छूट मिलेगी.

Published: 24 Dec, 2025 | 06:18 PM

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