फिर से बढ़ेगा वनस्‍पति तेलों पर आयात कर, किसानों को होगा फायदा!

भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है. ऐसे में अगर उसकी तरफ से आयात शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला लिया जाता है तो फिर स्थानीय वनस्पति तेल और तिलहन की कीमतें बढ़ सकती हैं.

Kisan India
Noida | Published: 11 Mar, 2025 | 09:00 AM

देश के हजारों तिलहन किसान इस समय कीमतों में गिरावट से जूझ रहे हैं. इन किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार आने वाले दिनों में आयात शुल्‍क बढ़ा दें. पिछले दिनों आई एक रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी गई है. सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत घरेलू तिलहन कीमतों में गिरावट से जूझ रहे हजारों तिलहन किसानों की मदद करने के लिए छह महीने से भी कम समय में दूसरी बार वनस्पति तेलों पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है.

दुनिया का सबसे बड़ा आयातक

न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है. ऐसे में अगर उसकी तरफ से आयात शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला लिया जाता है तो फिर स्थानीय वनस्पति तेल और तिलहन की कीमतें बढ़ सकती हैं. जबकि संभावित रूप से मांग में कमी आ सकती है. साथ ही साथ पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल की विदेशी खरीद कम हो सकती है. सरकारी सूत्र की तरफ से बताया गया है कि शुल्क वृद्धि के बारे में अंतर-मंत्रालयी परामर्श खत्‍म हो गया है. सरकार की तरफ से जल्द ही शुल्क बढ़ाने की उम्मीद है. एक और सरकारी सूत्र ने आधिकारिक नियमों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार खाद्य महंगाई पर फैसले के असर को भी ध्‍यान में रखेगी.

लगातार हो रही गिरावट

सितंबर 2024 में, भारत ने कच्चे और परिष्कृत वनस्पति तेलों पर 20 फीसदी बेसिक कस्‍टम ड्यूटी लगाई थी. बदलाव के बाद, कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 27.5 फीसदी इंपोर्ट टैक्‍स लगाया गया जबकि पहले यह 5.5 फीसदी था. तीनों तेलों के रिफाइन्‍ड ग्रेड पर अब 35.75 फीसदी आयात शुल्क है. शुल्क वृद्धि के बाद भी, सोयाबीन की कीमतें राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य से 10 फीसदी से अधिक नीचे कारोबार कर रही हैं.

कीमत पर कोई फैसला नहीं

व्यापारियों को यह भी उम्मीद है कि अगले महीने नए सीजन की आपूर्ति शुरू होने के बाद सर्दियों में बोई जाने वाली रेपसीड की कीमतों में और गिरावट आएगी. घरेलू सोयाबीन की कीमतें लगभग 4,300 रुपये प्रति 100 किलोग्राम हैं, जो राज्य द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य 4,892 रुपये से कम है. अधिकारियों की मानें तो तिलहन की कम कीमतों के कारण, खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना सहीं है. हालांकि अभी वृद्धि कितनी होगी इस राशि पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.

किसानों पर दबाव

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने कहा कि तिलहन किसान दबाव में हैं और तिलहन की खेती में अपनी रुचि बनाए रखने के लिए उन्हें समर्थन की आवश्यकता है. भारत अपनी वनस्पति तेल की लगभग दो-तिहाई मांग आयात के जरिए पूरी करता है. यह मुख्य तौर पर इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम ऑयल खरीदता है, जबकि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल आयात करता है.

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Published: 11 Mar, 2025 | 09:00 AM

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