भारत-न्यूजीलैंड FTA से घरेलू किसानों को नुकसान नहीं होगा, केंद्र ने सुरक्षा उपाय लागू किए

मंत्रालय ने कहा कि सिर्फ प्रीमियम कीमत वाले सेब ही भारतीय बाजार में आएंगे, जिससे घरेलू कीमतों को पूरी तरह से सुरक्षा मिलेगी, जबकि आयात में विविधता आएगी. रियायती ड्यूटी पर एक्सेस भी 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक एक तय सीजनल विंडो तक ही सीमित है, जिससे जानबूझकर पीक सीज़न से बचा जा सके.

नोएडा | Published: 25 Dec, 2025 | 01:36 PM

भारत-न्यूजीलैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) होने के बाद से देश के सेब किसानों को नुकसान होने की चिंता सता रही है. हालांकि. केंद्र सरकार के एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भारत ने मुक्त व्यापार समझौते के तहत न्यूजीलैंड से सेब के आयात पर संतुलित और सोच समझकर मार्केट एक्सेस दिया है, साथ ही घरेलू किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय भी किए हैं. हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों के सेब किसानों को दिक्कत नहीं होने दी जाएगी.

भारत और न्यूजीलैंड दोनों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप दे दिया है और उम्मीद है कि इसे सात-आठ महीनों में लागू कर दिया जाएगा. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि घरेलू किसानों को नुकसान होने या दिक्कतों से बचाने के लिए सुरक्षा उपाय सरकार ने लागू किए हैं. समझौते के तहत न्यूजीलैंड से सेब के आयात के लिए तय कोटे के अंदर ही 25 फीसदी की रियायती कस्टम ड्यूटी लागू होगी, जिसके लिए सोमवार को बातचीत पूरी हुई थी.

घरेलू किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिमिटेड एक्सेस दिया गया

वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा कि कोटे से ज्यादा आयात पर बिना किसी रियायत के पूरी मौजूदा 50 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगेगी.  बयान में कहा गया है कि FTA में, न्यूजीलैंड से सेब के आयात के लिए संतुलित और सोच-समझकर मार्केट एक्सेस दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घरेलू किसानों के हितों की पूरी तरह से रक्षा हो. कहा गया है कि FTA में मजबूत और कई-स्तरीय उपाय शामिल हैं, जिनमें से सभी को एक साथ पूरा करना होगा तभी कोई आयात हो पाएगा.

यह कोटा 2024-25 में न्यूजीलैंड से भारत के मौजूदा आयात स्तर (भारतीय आयात का 7.3 फीसदी) के हिसाब से तय किया गया है, और इसे छह साल में धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा. कोटा पहले साल में 32,500 मीट्रिक टन (MT), दूसरे साल में 35,000 MT, तीसरे साल में 37,500 MT, चौथे साल में 40,000 MT, पांचवें साल में 42,500 MT और छठे साल में 45,000 MT तक धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा.

दूसरे देशों से सेब आने पर लागू होगा न्यूनतम आयात मूल्य

इसके अलावा न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) का भी प्रावधान है. दूसरे देशों से अभी आयात किए जाने वाले सेब के लिए मौजूदा MIP 50 रुपये प्रति किलो है, जिसमें ड्यूटी के बाद की कीमतें लगभग 75 रुपये प्रति किलो हैं. इसके विपरीत, FTA के तहत न्यूजीलैंड से आयात पर USD 1.25 प्रति किलो (लगभग 112 रुपये रुपये किलो) का ज्यादा MIP लागू होगा. इसके नतीजे में रियायती ड्यूटी के बाद न्यूनतम कीमत 140 रुपये प्रति किलो होगी.

मंत्रालय ने कहा कि इससे यह पक्का होता है कि सिर्फ प्रीमियम कीमत वाले सेब ही भारतीय बाजार में आएंगे, जिससे घरेलू कीमतों को पूरी तरह से सुरक्षा मिलेगी, जबकि आयात में विविधता आएगी. रियायती ड्यूटी पर एक्सेस भी 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक एक तय सीजनल विंडो तक ही सीमित है, जिससे जानबूझकर पीक सीज़न से बचा जा सके. इसके अलावा मंत्रालय ने कहा कि मार्केट एक्सेस सीधे तौर पर एग्रीकल्चर प्रोडक्टिविटी पार्टनरशिप के तहत एप्पल एक्शन प्लान के लागू होने से जुड़ा हुआ है.

संयुक्त कृषि उत्पादकता परिषद करेगी निगरानी

कृषि और किसान कल्याण विभाग के तहत एक संयुक्त कृषि उत्पादकता परिषद द्विपक्षीय जुड़ाव की देखरेख करेगी, कार्यान्वयन की निगरानी करेगी और सहमत परिणामों की डिलीवरी सुनिश्चित करेगी. बयान में कहा गया है कि एग्रीकल्चर प्रोडक्टिविटी पार्टनरशिप भारत में सेब के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना का समर्थन करती है, जो आधुनिक बाग प्रबंधन, उत्पादकता बढ़ाने, एकीकृत कीट और रोग प्रबंधन, उन्नत फसल कटाई के बाद की हैंडलिंग और जलवायु लचीली उत्पादन प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करता है.

भारत 2024-25 में 557,989 मीट्रिक टन के साथ विश्व स्तर पर सेब का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है. रिपोर्टों के अनुसार कुछ सेब किसान संघों ने व्यापार समझौते के तहत ड्यूटी रियायतों पर चिंता जताई है, जिसके बाद सरकार नीतियां स्पष्ट कर रही है.

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