नहीं बढ़ रहा मछिलयों का वजन या फैल रही फफूंद बीमारी तो हो जाएं सतर्क, ये उपाय करेंगे मदद

मछली पालकों को अकसर शिकायत रहती है कि उनकी मछलियों का वजन नहीं बढ़ रहा है. इसके अलावा मछलियों में सफेद फफूंद रोग भी तेजी से फैलता है. इससे बचाव करना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह स्थितियां आपके फायदे को नुकसान में बदल सकती हैं. यहां कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिनकी मदद से सुधार किया जा सकता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Sep, 2025 | 08:35 PM

सरकार कृषि से जुड़े और भी क्षेत्रों जैसे मछली पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन और भेड़ पालन को बढ़ावा दे रही है. ताकि खेती से साथ- साथ किसान को रोजगार और आय बढ़ाने का अन्य जरिया उपलब्ध हो सके. किसान खेती के साथ पशुपालन से अतिरिक्त आमदनी बना सकते हैं. सरकार के सहयोग से इन क्षेत्रों को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है. किसान इन योजनाओं में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में किसानों को मछलीपालन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. अगर आप भी मछली पालन कर रहें हैं और मछली का वजन नहीं बढ़ रहा है तो आपको सचेत हो जाना चाहिए.

मछली पालन में आने वाली समस्याएं और उनका समाधान

मछली पालन करना एक बेहद ही कठिन व्यसाय है. मछली पालन में मछलियों का नियमित तौर पर देख-रेख जरुरी है नहीं तो मछली के बिमार होने और मरने का ड़र बना रहता है. आमतौर पर देखा गया है कि मछली पालकों की शिकायत यह रहती है कि उनके तालाब में मछलियों का वजन नहीं बढ़ रहा है. आपको बता दें कि यह शिकायत बेहद ही आम है.

मछलियों का वजन बढ़ाने का तरीका

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मछलियों का वजन तब नहीं बढ़ता है जब इनको भोजन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिलती है. मछलियों का वजन बढ़ाने के लिए तालाब में गोबर और मुर्गियों की बीट डालना बेहतर काम करता है. 1 साल के अंदर अगर तालाब में 10-15 टन गोबर और 6 टन मुर्गी की बीट का घोल बनाकर तालाब में डाल दें. इससे मछलियों के भोजन की व्यवस्था पर्याप्त हो जाती है और उनका वजन तेजी से बढ़ने लगता है.

यह घोल मछलियों के लिए खाद का काम करता है. वजन तेजी के साथ बढ़ाता है. इस घोल का छिड़काव हर महीने करने से मछलियों का वजन तेजी से बढ़ेगा जिसके कारण किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल सकता है.

मछलियों में सफेद फफूंद बीमारी

दूसरी जो सबसे आम समस्या है, वो सैपरोलगनियोसिस की है इसमें मछली के शरीर पर रुई के गोल की भांति सफेदी लिए भूरे रंग के गुच्छे उग जाते हैं. जानकार बताते हैं कि इससे निजात पाने के लिए नमक का घोल या कॉपर का घोल एक तय मात्रा में 1-5 मिनट तक तालाब में डुबाना प्रभावकारी है.

इसके अलावा फिश टेल रोग, जिसमें मछलियों में पंखों के किनारों पर सफेदी आना, बाद में पंखों एवं पूंछ का सड़ना. पानी की स्वच्छता को मेंटेन करने और भोजन में फोलिक एसिड मिलाकर देने इस रोग से निजात पाया जाता है.

Published: 19 Sep, 2025 | 08:33 PM

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