प्राकृतिक खेती से लागत में आएगी कमी, ऐसे बढ़ेगी किसानों की कमाई.. कृषि मंत्री ने बताया फॉर्मूला

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के लिए प्राकृतिक खेती अपनानी चाहिए. गुजरात के सूरत में उन्होंने किसानों को फल-सब्जी की खेती पर जोर देने की सलाह दी.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 12 Jun, 2025 | 01:22 PM

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कम लागत में अधिक आमदनी करनी है, तो किसानों को प्राकृतिक खेती की तरफ रूख करना होगा. क्योंकि प्राकृतिक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जरूरत नहीं पड़ती है. इससे खेती की लागत में कमी आएगी और  मुनाफे में इजाफा होगा. उन्होंने कहा कि देश के सभी किसानों को प्रयोग के तौर पर प्राकृतिक खेती करनी चाहिए. अगर किसान के पास 5 एकड़ जमीन है, तो कम से कम आधे एकड़ में प्राकृतिक खेती जरूर करें. इससे उनकी कमाई में बढ़ोतरी होगी.

दरअसल, ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत शिवराज सिंह चौहान आज गुजरात दौरे पर थे. उन्होंने सूरत जिले के बारडोली में किसानों से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं. इस दौरान उन्होंने किसानों से पारंपरिक फसलों के साथ-साथ फल और सब्जियों की खेती करने की भी सलाह दी. उन्होंने कहा कि पारंपरिक फसलों के मुकाबले सब्जी और फलों की खेती में ज्यादा मुनाफा है. इसलिए किसानों को इसकी खेती की तरफ रूख करना चाहिए. साथ ही कृषि मंत्री ने कहा कि जब तक किसानों की कमाई नहीं बढ़ेगी, कृषि विकसित और आधुनिक नहीं बनेगी, तब तक विकसित भारत का सपना भी पूरा नहीं होगा.

अभी तक इन राज्यों का कर चुके हैं दौरा

बता दें कि 15 दिवसीय यह देशव्यापी अभियान 29 मई को ओडिशा से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह की उपस्थिति में शुरू हुआ था. इस अभियान के तहत शिवराज सिंह अब तक ओडिशा, जम्मू, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, पंजाब, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और दिल्ली के किसानों से संवाद कर चुके हैं.

16 हजार वैज्ञानिकों की टम का योगदान

इसी कड़ी में  उन्होंने आज गुजरात दौरे के साथ इस अभियान का समापन किया. पूरे अभियान के दौरान देशभर से 16 हजार वैज्ञानिकों की 2170 टीमें वर्चुअली जुड़ीं. अब तक ये टीमें विकसित कृषि संकल्प अभियान कार्यक्रम के जरिए एक करोड़ आठ लाख से अधिक किसानों तक पहुंच चुकी हैं.

कार्यक्रम के तहत किसानों को मिली जानकारी

इस कार्यक्रम के जरिए किसानों को उनके क्षेत्र विशेष की जरूरतों, जलवायु परिस्थितियों, मिट्टी की उर्वरता क्षमता और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए उन्नत कृषि के लिए शोध की जानकारी दी गई. इसके साथ ही किसानों की व्यावहारिक समस्याओं और जरूरतों को सुनकर उनका समाधान खोजने का भी प्रयास किया किया गया, ताकि भविष्य के कृषि अनुसंधान की दिशा और नीतियां तय की जा सकें.

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Published: 12 Jun, 2025 | 01:17 PM

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