हरियाणा सरकार ने जमीन मालिकों को मजबूरी में जमीन बेचने से बचाने और विकास परियोजनाओं के लिए जमीन लेने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ‘स्वैच्छिक भूमि खरीद नीति 2025’ को मंजूरी दी है. यह फैसला मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया. यह नई नीति 2017 की नीति की जगह लागू होगी और इसमें कई आधुनिक और प्रगतिशील बदलाव किए गए हैं. अब जमीन जुटाने वालों (एग्रीगेटर्स) को प्रोत्साहन दिया जाएगा और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन भी की जा सकेगी, जिससे पारदर्शिता और भागीदारी बढ़ेगी.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि यह नीति जमीन मालिकों को एक स्वैच्छिक और भागीदारी आधारित मंच देती है. ताकि वे मजबूरी में जमीन बेचने से बच सकें और विकास परियोजनाओं की जगह तय करने में भी सक्रिय भूमिका निभा सकें. यह नीति हरियाणा में राज्य सरकार के विभागों, बोर्डों, निगमों और कंपनियों के अलावा केंद्र सरकार की एजेंसियों पर भी लागू होगी, जो इंफ्रास्ट्रक्चर या विकास कार्यों के लिए जमीन लेना चाहती हैं.
जमीन मालिक चुन सकते हैं ये विकल्प
इस नीति के भाग-A के तहत अब जमीन मालिक अपनी जमीन का पूरा या आंशिक हिस्सा बेचने का विकल्प चुन सकते हैं, जो पहले की नीति में संभव नहीं था. साथ ही, जिस जमीन की पेशकश की जाएगी, वहां तक कम से कम 5 करम चौड़ी सड़क से पहुंच होना जरूरी है. नीति के अनुसार, केवल वही जमीन बेची जा सकेगी जिसकी मालिकाना हक साफ हो. ‘शामलात देह’ या ‘मुश्तरका मलकान’ जमीनें किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं की जाएंगी. नाबालिग, मानसिक रूप से असमर्थ और अन्य संवेदनशील वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा कोर्ट की अनुमति के जरिए की जाएगी. उपायुक्त यह सुनिश्चित करेंगे कि जमीन के लिए मांगी गई कीमत उचित है या नहीं.
फैसिलिटेशन शुल्क की व्यवस्था की गई
जमीन जुटाने वालों (एग्रीगेटर्स) को भी प्रोत्साहित करने के लिए नीति में फैसिलिटेशन शुल्क की व्यवस्था की गई है. कुल सौदे की राशि का 1 फीसदी, जिसमें से 0.5 फीसदी रजिस्ट्रेशन के समय और 0.5 फीसदी म्यूटेशन व कब्जा सौंपने के बाद दिया जाएगा. नई नीति के तहत जमीन जुटाने वालों (एग्रीगेटर्स) को उनके प्रदर्शन के आधार पर 1,000 रुपये से 3,000 रुपये प्रति एकड़ तक का अतिरिक्त प्रोत्साहन (इनसेंटिव) मिलेगा. यह इनसेंटिव जमीन की दर कलेक्टर रेट के कितने करीब है, इस पर निर्भर करेगा.