क्लाइमेट चेंज का खेती पर बुरा असर.. बढ़ते तापमान से घटा उत्पादन, एक्सपर्ट ने जताई चिंता

2050 तक तापमान में 3 डिग्री की वृद्धि की संभावना है, जिससे सबसे ज्यादा असर खेती पर पड़ेगा. हालांकि, जलवायु संकट का असर शहरी और तटीय इलाकों पर भी पड़ेगा, लेकिन सबसे ज्यादा मार ग्रामीण और किसान समुदायों पर पड़ेगी.

नोएडा | Updated On: 6 May, 2025 | 05:09 PM

आने वाले वर्षों में तेजी से जलवायु परिवर्तन होने की संभावना है, जिसके संकेत अभी से ही मिलने लगे हैं. कहा जा रहा है कि 2050 तक तापमान में करीब 3 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हो सकती है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित किसान होंगे, क्योंकि जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर खेती-किसानी पर ही पड़ने वाला है. ऐसे में भारत सहित पूरे विश्व में अनाज उत्पादन में कमी आ सकती है. दरअसल, एक्सपर्ट और रिसर्चर्स ने जलवायु परिवर्तन में तेजी से होने वाले बदलाव को लेकर चेतावनी जारी की है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर (रिसर्च) और रिसर्च डायरेक्टर डॉ. अंजल प्रकाश ने कहा है कि जलवायु संकट से निपटने के लिए सभी को तैयार रहना पड़ेगा. इसमें हर व्यक्ति की अपनी-अपनी अहम भूमिका होगी. डॉ. प्रकाश ने कहा कि जलवायु परिवर्तन यानी मौसम के पैटर्न में बदलाव का सबसे गहरा असर कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा.

इन इलाकों पर भी पड़ेगा असर

डॉ. अंजल प्रकाश के मुताबिक, जलवायु संकट का असर शहरी और तटीय इलाकों पर भी पड़ेगा, लेकिन सबसे ज्यादा मार ग्रामीण और किसान समुदायों पर पड़ेगी. उन्होंने कहा कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 शहर भारत में हैं. यह बात उन्होंने महाराष्ट्र के लातूर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं. डॉ. प्रकाश ने चेताया कि आने वाले समय में हमें सूखा, भारी बारिश और तूफानों का सामना करना पड़ सकता है.

महाराष्ट्र में दिखेगा सबसे ज्यादा असर

उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र की करीब 750 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा है और बढ़ते तापमान की वजह से समुद्र किनारे बसे कई शहरों और देशों पर खतरा मंडरा रहा है. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ. प्रकाश ने वैज्ञानिक शोध के आंकड़े पेश किए और जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि जलवायु के अनुकूल योजनाएं तुरंत बनाई और लागू की जाएं.

बांस की खेती को मिलेगा बढ़ावा

पूर्व विधान परिषद सदस्य और महाराष्ट्र राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष पाशा पटेल ने लातूर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि सरकार किसानों को बांस की खेती के प्रति जागरूक कर रही है और इसे बड़े स्तर पर अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ‘ग्रीन महाराष्ट्र’ योजना के तहत सरकार का लक्ष्य 21 लाख हेक्टेयर में वृक्षारोपण करना है, और इस अभियान में बांस की खेती पर विशेष जोर दिया जाएगा. पाशा पटेल ने कहा कि बांस को पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसलिए किसानों को इसके लाभों के बारे में समझाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे.

Published: 6 May, 2025 | 04:55 PM