केवल पेड़ लगाना नहीं बल्कि देखरेख भी है जरूरी, अब 5 साल की मेहनत के बाद मिलेगा ‘ग्रीन क्रेडिट’

सरकार ने ग्रीन क्रेडिट पाने के नियम बदले हैं. अब ये क्रेडिट तभी मिलेंगे जब पेड़ कम से कम पांच साल तक जीवित रहें और जमीन पर 40 फीसदी कैनोपी कवर बन जाए. नई प्रणाली पेड़ लगाने से ज्यादा पर्यावरण में असली सुधार पर आधारित है, जिससे पारदर्शिता और प्रभाव बढ़ेगा.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 1 Sep, 2025 | 04:08 PM

केंद्र सरकार ने पेड़ लगाने पर तुरंत ग्रीन क्रेडिट देने की पुरानी व्यवस्था को बदल दिया है. अब ग्रीन क्रेडिट तभी मिलेंगे जब किसी खराब हो चुकी जंगल वाली जमीन को कम से कम पांच साल तक सुधारा जाए और वहां 40 फीसदी या उससे ज्यादा पेड़ों की छाया (कैनोपी कवर) हो जाए. पर्यावरण मंत्रालय ने 22 फरवरी 2024 को जारी की गई ग्रीन क्रेडिट योजना की पद्धति को 29 अगस्त को नए नोटिफिकेशन के जरिए बदला है.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीन क्रेडिट एक तरह का इनाम है, जो लोग, समुदाय या कंपनियां पर्यावरण को बचाने के लिए स्वेच्छा से अच्छे काम करती हैं, उन्हें दिया जाता है. ये काम हो सकते हैं पेड़ लगाना, मैंग्रोव की सुरक्षा, पानी की बचत, टिकाऊ खेती या कचरे का सही प्रबंधन. अब नई व्यवस्था के अनुसार, ग्रीन क्रेडिट सिर्फ तभी मिलेगा जब पेड़ कम से कम पांच साल तक जिंदा रहे हों और उस जमीन पर घना हरियाली (40 फीसदी कैनोपी) बन गई हो. हर ऐसे जीवित पेड़ के लिए एक ग्रीन क्रेडिट दिया जाएगा.

क्या कहती है 2024 की अधिसूचना

2024 की अधिसूचना के अनुसार, पेड़ लगाने के तुरंत बाद और प्रमाणित होने पर ग्रीन क्रेडिट मिल जाते थे. यह सिर्फ लगाए गए पेड़ों की संख्या पर आधारित था. नियम था कि एक हेक्टेयर में कम से कम 1,100 पेड़ लगने चाहिए और हर पेड़ के लिए एक ग्रीन क्रेडिट मिलेगा. पेड़ लगाने का काम आवेदनकर्ता द्वारा भुगतान करने के दो साल के भीतर वन विभाग को करना होता था. लेकिन 2025 की नई अधिसूचना के अनुसार, अब ग्रीन क्रेडिट पेड़ों की संख्या के साथ-साथ उस जमीन पर हरियाली और पेड़ों की छांव (कैनोपी घनत्व) में हुए सुधार के आधार पर दिए जाएंगे.

अब कब मिलेगा ग्रीन क्रेडिट

यानी अब ग्रीन क्रेडिट सिर्फ पेड़ लगाने पर नहीं, बल्कि जमीन की असली पर्यावरणीय स्थिति में सुधार होने पर ही मिलेंगे. 2024 के नियमों के तहत ये क्रेडिट ‘कंपन्सेटरी अफॉरेस्टेशन’ (प्रतिपूरक वनीकरण), कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) और ESG रिपोर्टिंग में इस्तेमाल किए जा सकते थे. 2025 की नई अधिसूचना के अनुसार, अब ग्रीन क्रेडिट को खरीदा-बेचा या ट्रांसफर नहीं किया जा सकता, सिवाय उस स्थिति के जब कोई होल्डिंग कंपनी इन्हें अपनी सब्सिडियरी कंपनियों को दे.

ग्रीन क्रेडिट का केवल एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है. कंपन्सेटरी अफॉरेस्टेशन, CSR दायित्व या किसी प्रोजेक्ट अप्रूवल से जुड़ी वृक्षारोपण जरूरतों को पूरा करने के लिए. एक बार इस्तेमाल हो जाने के बाद ये क्रेडिट खत्म माने जाएंगे और फिर दोबारा इस्तेमाल नहीं हो सकते. अब क्रेडिट पाने के लिए आवेदकों को एक वेरिफिकेशन फीस देनी होगी और एक क्लेम रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसे तय की गई एजेंसियां जांचेंगी. जांच पूरी होने के बाद ही ग्रीन क्रेडिट जारी किए जाएंगे.

ग्रीन क्रेडिट की गणना नए नियमों के आधार पर होगी

ये 2024 की प्रणाली से अलग है, जहां वन विभाग खुद ही पेड़ लगाता था और सीधे प्रमाण पत्र बनाकर एडमिनिस्ट्रेटर (Indian Council of Forestry Research and Education) को देता था. सरकार ने साफ किया है कि 2024 की अधिसूचना के तहत जो प्रोजेक्ट पहले ही शुरू हो चुके हैं और जिनके लिए भुगतान किया जा चुका है, वे पुराने नियमों के हिसाब से ही पूरे किए जाएंगे. लेकिन 29 अगस्त 2025 के बाद आने वाले सभी नए दावे और ग्रीन क्रेडिट की गणना अब नए नियमों के आधार पर ही होगी.

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Published: 1 Sep, 2025 | 04:04 PM

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