भारत बना ग्लोबल सीफूड हब, यूरोप और एशिया में बढ़ी भारतीय झींगों की मांग
भारत के समुद्री निर्यात में झींगे (Shrimp) का योगदान सबसे ज्यादा है. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच झींगे की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है क्योंकि यह उच्च प्रोटीन वाला और कम वसा युक्त भोजन है. भारतीय किसान अब छोटे और मध्यम आकार के झींगे पर ध्यान दे रहे हैं, जिनकी मांग यूरोप और एशिया में अधिक है.
India Marine Exports: भारत के समुद्री उत्पादों के लिए यह साल बेहद खास साबित हो रहा है. जहां एक ओर वैश्विक बाजारों में मांग में उतार-चढ़ाव देखने को मिला, वहीं भारत ने अपनी रणनीति और गुणवत्ता के दम पर नया रिकॉर्ड बनाया है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर 2025) में समुद्री उत्पादों का निर्यात 17 फीसदी बढ़कर 3.97 अरब डॉलर (करीब 33,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है. यह सफलता ऐसे समय आई है जब अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव और आयात शुल्क को लेकर चिंता बनी हुई थी.
त्योहारी मांग और नए बाजारों ने दी मजबूती
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारत के समुद्री निर्यात में यह बढ़ोतरी केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय मत्स्य क्षेत्र की मेहनत और नवाचार का परिणाम है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल निर्यात में तेजी का एक बड़ा कारण वैश्विक स्तर पर क्रिसमस और नववर्ष की तैयारी है. त्योहारों के समय समुद्री खाद्य पदार्थों की मांग में बढ़ोतरी होती है, जिसका सीधा फायदा भारत को मिला.
वाणिज्य मंत्रालय और मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (MPEDA) के सहयोग से उद्योग ने अमेरिका के कमजोर बाजार की भरपाई यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व जैसे नए क्षेत्रों में विस्तार करके की. इसके चलते भारत का समुद्री निर्यात फिर से तेजी पकड़ने में सफल रहा.
झींगे की बढ़ती मांग ने बढ़ाया निर्यात
भारत के समुद्री निर्यात में झींगे (Shrimp) का योगदान सबसे ज्यादा है. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच झींगे की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है क्योंकि यह उच्च प्रोटीन वाला और कम वसा युक्त भोजन है. भारतीय किसान अब छोटे और मध्यम आकार के झींगे पर ध्यान दे रहे हैं, जिनकी मांग यूरोप और एशिया में अधिक है. वहीं, अमेरिका मुख्य रूप से बड़े आकार के झींगे पसंद करता है, लेकिन वहां की मांग में कुछ गिरावट आई है.
अमेरिका में गिरावट, एशियाई बाजारों में तेजी
एमपीईडीए के अधिकारियों के अनुसार, अमेरिका को निर्यात में करीब 6 फीसदी की कमी आई है. इसके बावजूद भारत ने चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों में नए अवसर तलाशे हैं. यह रुझान इस बात का संकेत है कि भारतीय निर्यात अब एक ही बाजार पर निर्भर नहीं है. इस बदलाव ने भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने की ताकत दी है.
कच्चे उत्पादों से आगे बढ़ने की जरूरत
विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है जब भारत को केवल कच्चे समुद्री उत्पादों का निर्यात करने के बजाय ‘वैल्यू-ऐडेड’ उत्पादों की ओर बढ़ना चाहिए. जैसे रेडी-टू-ईट मछली फिलेट्स, फ्रोजन फूड्स, स्क्विड रिंग्स और अन्य तैयार समुद्री व्यंजन. वर्तमान में भारत का वैल्यू-ऐडेड निर्यात लगभग 742 मिलियन डॉलर का है, जबकि चीन और वियतनाम जैसे देश इससे कहीं आगे हैं.
सरकार और उद्योग की नई योजनाएं
सरकार और उद्योग दोनों ही इस क्षेत्र में नई संभावनाओं की तलाश में हैं. एक्सक्लूसिव एक्वाकल्चर जोन (मत्स्य पालन के विशेष क्षेत्र) बनाए जा रहे हैं, ताकि उत्पादन को और बढ़ाया जा सके. इसके साथ ही फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की प्रक्रिया को भी तेज किया जा रहा है ताकि भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक अवसर मिलें.
सीएमएफआरआई (CMFRI) के निदेशक ग्रिन्सन जॉर्ज के अनुसार, संस्थान एक नया रोडमैप तैयार कर रहा है, जिसमें व्यापारिक अड़चनों को दूर करने, वैल्यू-ऐडेड उत्पादों को प्रोत्साहित करने और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत बनाए रखने की रणनीति शामिल है.