भारत के चावल निर्यात पर बड़ा खतरा, कारण चौंकाने वाले

मई 2025 तक, भारत के खाद्य निगम के पास 38 मिलियन टन से ज्यादा चावल का भंडार था. भारत ने 2024-25 में करीब 149 मिलियन टन चावल का उत्पादन किया, जो कि अब तक का सबसे ज्यादा है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 11 Jun, 2025 | 03:07 PM

अप्रैल-मई 2025 के महीनों में भारत के चावल निर्यात में अचानक और तेज गिरावट ने व्यापार जगत और किसानों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है. इस साल अप्रैल और मई में भारत के चावल निर्यात में करीब 60 फीसदी की भारी गिरावट आई है. साथ ही दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक देश के लिए यह एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गई है. इतनी बड़ी कमी का कारण क्या है और इसका असर भविष्य में क्या होगा? तो चलिए जानते हैं कि क्यों वैश्विक बाजार में भारत के चावल की मांग कमजोर हुई है और इससे देश के निर्यातक और किसान कैसे प्रभावित हो रहे हैं.

क्या हुआ है?

2024-25 के वित्त वर्ष के शुरुआत के दो महीने यानी अप्रैल और मई में भारत से चावल का निर्यात काफी कम हो गया है. पिछले साल इसी समय के मुकाबले अब निर्यात करीब आधा रह गया है. इसका मतलब है कि विदेशों को भारत से चावल की सप्लाई कम हो गई है.

गिरावट की वजह

विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया भर में चावल की कीमतें इस समय कई सालों के सबसे निचले स्तर पर हैं. कई देशों के पास अभी भी बहुत ज्यादा चावल का स्टॉक बचा हुआ है, इसलिए वे नया चावल खरीदने में जल्दी नहीं कर रहे. वहीं भारत ने सितंबर 2024 में निर्यात पर लगी रोक हटा दी थी, जिसके बाद काफी मात्रा में चावल खरीदा गया था. उस समय बंदरगाह पर चावल उतारने के लिए जगह नहीं बची थी और समुद्र में जहाजों पर चावल पड़ा था. अब बाजार में ज्यादा चावल होने की वजह से कीमतें गिर गई हैं और मांग कम हो गई है.

आंकड़ों की बात करें तो सितंबर 2024 में भारत ने लगभग 4.35 लाख टन उबले हुए (parboiled) चावल का निर्यात किया था, जो जनवरी 2025 में बढ़कर 12.52 लाख टन तक पहुंच गया था. लेकिन अप्रैल 2025 में यह गिरकर 7.92 लाख टन और मई में सिर्फ 2.07 लाख टन रह गया. वहीं सफेद चावल के निर्यात में भी इसी तरह गिरावट आई है. अक्टूबर 2024 में लगभग 6.91 लाख टन से यह मई 2025 तक घटकर 2.92 लाख टन हो गया. इसका मतलब साफ है कि भारत का मासिक चावल निर्यात 13 लाख टन से घटकर 5 लाख टन से भी कम हो गया है.

कीमतों में गिरावट

चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी पिछले कई सालों में सबसे कम हैं. 5 फीसदी टूटे सफेद चावल का भाव अब $384 प्रति टन (FOB) है, जबकि उबले चावल की कीमत $377 प्रति टन है. फरवरी से लेकर अब तक कीमतों में करीब 20% की गिरावट आ चुकी है.

विश्लेषकों का कहना है कि यह समस्या सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि वैश्विक है. भारत के प्रतिस्पर्धी देशों का भी निर्यात इतना बेहतर नहीं रहा. इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा स्टॉक को कम कीमत पर राज्य सरकारों को देने और एथनॉल के लिए सस्ता चावल उपलब्ध कराने की नीतियों ने भी बाजार में चावल की अधिकता का संदेश दिया है.

रिकॉर्ड स्टॉक और उत्पादन

मई 2025 तक, भारत के खाद्य निगम के पास 38 मिलियन टन से ज्यादा चावल का भंडार था. भारत ने 2024-25 में करीब 149 मिलियन टन चावल का उत्पादन किया, जो कि अब तक का सबसे ज्यादा है.

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