केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अब शुगर मिलें खुद तय करेंगी एथनॉल उत्पादन का तरीका

भारतीय शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, 2025-26 में भारत की चीनी उत्पादन क्षमता लगभग 18 फीसदी बढ़कर 34.90 मिलियन टन होने का अनुमान है.

नई दिल्ली | Published: 2 Sep, 2025 | 10:11 AM

केंद्र सरकार के खाद्य मंत्रालय ने सोमवार को सभी शुगर मिलों और डिस्टिलरी को पत्र जारी कर बताया कि वे गन्ने के रस, शुगर सिरप, बी-हेवी शीरा और सी-हेवी शीरे से बिना किसी रोकटोक के एथनॉल बना सकते हैं. इस फैसले से मिलों को ज्यादा लचीलापन मिलेगा. अब तक सरकार फीडस्टॉक तय करती थी, लेकिन अब उद्योग अपनी सुविधा और स्थिति के अनुसार चुनाव कर पाएंगे.

सरकार करेगी नियमित समीक्षा

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) और पेट्रोलियम मंत्रालय मिलकर इस बात पर नजर रखेंगे कि आखिर कितना गन्ना (सुक्रोज) एथनॉल में बदला जा रहा है और कितना चीनी उत्पादन के लिए इस्तेमाल हो रहा है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि देश में सालभर चीनी की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहे.

तेल कंपनियों द्वारा खरीदी की दरें

फिलहाल ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) एथनॉल को अलग-अलग दरों पर खरीदती हैं, जो इस्तेमाल होने वाले फीडस्टॉक पर निर्भर करती हैं. उदाहरण के लिए:

गन्ने का रस/सिरप: 65.61 रुपये प्रति लीटर

बी-हेवी शीरा: 60.73 रुपये प्रति लीटर

सी-हेवी शीरा: 57.97 रुपये प्रति लीटर

टूटा हुआ चावल (डैमेज्ड राइस):  64 रुपये प्रति लीटर

मक्का:  71.86 रुपये प्रति लीटर

एफसीआई का सब्सिडाइज्ड चावल: 58.50 रुपये प्रति लीटर

चावल की कीमत में बढ़ोतरी

सरकारी कंपनी भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा बेचे जाने वाले चावल की कीमत भी 1 नवंबर से बढ़ाई जाएगी. वर्तमान में यह 22.50 रुपये प्रति किलो है, जो बढ़कर 23.20 रुपये प्रति किलो हो जाएगी.

चीनी उद्योग को राहत

एथनॉल उत्पादन में गन्ने के रस के इस्तेमाल से चीनी उत्पादन नहीं होगा, जिससे देश में चीनी का अतिरिक्त भंडार बनने से बचा जा सकेगा. उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा. वहीं, बी-हेवी और सी-हेवी शीरा केवल तभी बनता है जब चीनी का उत्पादन किया जाता है.

भारतीय शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) के अनुसार, 2025-26 में भारत की चीनी उत्पादन क्षमता लगभग 18 फीसदी बढ़कर 34.90 मिलियन टन होने का अनुमान है. इसी वजह से सरकार को एथनॉल डाइवर्जन की दिशा में कदम उठाना पड़ा.

एथनॉल उत्पादन की क्षमता

भारत के पास सालाना 853 करोड़ लीटर एथनॉल उत्पादन की क्षमता है, जिसमें से 174 करोड़ लीटर ड्यूल-फीड प्लांट से आता है. अगर पूरा गन्ने का रस एथनॉल में लगाया जाए, तो इसके लिए लगभग 1.1 करोड़ टन चीनी का डाइवर्जन करना पड़ेगा.

किसानों और मिलों के लिए फायदे

  • किसानों को गन्ने की बेहतर मांग मिलेगी, जिससे बकाया भुगतान में राहत मिलेगी.
  • शुगर मिलों को अतिरिक्त चीनी स्टॉक के बोझ से राहत मिलेगी.
  • देश को इंपोर्टेड पेट्रोलियम पर निर्भरता कम करने और प्रदूषण घटाने में मदद मिलेगी.