छत्तीसगढ़ सरकार ने विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर एक बड़ी पहल करते हुए दुधारू पशु योजना के तीसरे चरण का शुभारंभ किया है. इस योजना के तहत राज्य के आदिवासी बहुल इलाकों की महिला किसानों को दो-दो दुधारू गायें मुफ्त में दी जा रही हैं. इसका उद्देश्य पोषण, रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है.
तीसरे चरण का शुभारंभ सारंगढ़-बिलाईगढ़ से
दुधारू पशु योजना के तीसरे चरण की शुरुआत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले से की. यह योजना खासतौर पर अनुसूचित जनजाति की महिला किसानों के लिए चलाई जा रही है. पहले चरण में योजना कोंडागांव जिले में शुरू हुई थी, और दूसरे चरण में कांकेर जिले को शामिल किया गया. अब तीसरे चरण में सारंगढ़-बिलाईगढ़ की महिलाओं को 2-2 दुधारू गायें मुफ्त में दी जा रही हैं, ताकि वे डेयरी व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बन सकें.
एनडीडीबी और एनडीएस का तकनीकी सहयोग
इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) और उसकी सहायक कंपनी NDDB डेयरी सर्विसेज (NDS) तकनीकी सहयोग प्रदान कर रही हैं. एनडीएस की भूमिका केवल पशु आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि वे पशुओं की देखभाल, पालन-पोषण, ट्रेनिंग और तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान कर रही हैं. इस तरह महिला किसानों को सम्पूर्ण सहायता मिल रही है.
योजना के पीछे मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य आदिवासी इलाकों में रहने वाली महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ना, उनके आर्थिक हालात को सुधारना और उनके परिवारों को पोषण के लिहाज से मजबूत बनाना है. दूध उत्पादन बढ़ने से न केवल घरेलू जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि महिलाएं स्थानीय बाजार में दूध बेचकर आमदनी भी कर सकेंगी. इससे गांवों में डेयरी से जुड़े छोटे उद्योग भी विकसित होंगे.
महिलाओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा कि यह योजना आदिवासी समाज की महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का एक मजबूत जरिया बनेगी. उन्होंने NDDB और NDS के योगदान की भी प्रशंसा की और कहा कि छत्तीसगढ़ में डेयरी क्षेत्र के विकास में इनकी भूमिका अहम है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं को सिर्फ लाभार्थी नहीं, बल्कि सफल उद्यमी बनाया जाए.