प्याज की कीमतें बढ़ने से पहले, सरकार करेगी 0.3 मिलियन टन प्याज की खरीदी

इस समय प्याज की कीमतें कम हैं, विशेषकर महाराष्ट्र के लासलगांव मंडी में. वहां पर प्याज की कीमत 10-12 रुपये प्रति किलो के आसपास है, जो पिछले साल की तुलना में 36 फीसदी कम है. इससे किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा और बाजार में भी स्थिरता बनी रहेगी.

नई दिल्ली | Published: 13 May, 2025 | 08:57 AM

देश में प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव अक्सर त्योहारों के मौसम में बढ़ जाता है, जिससे आम लोगों की जेब पर असर पड़ता है. इस स्थिति से निपटने के लिए, सरकार प्याज का भंडारण करने जा रही है, ताकि जब कीमतें बढ़ें, तब उन्हें बाजार में सस्ते दामों पर बेचा जा सके. इस बार सरकार 0.3 मिलियन टन प्याज खरीदेगी, जिससे 2025-26 के लिए एक बफर स्टॉक तैयार किया जा सकेगा. आइए, जानते हैं इसके बारे में अधिक जानकारी.

प्याज का खरीदना और स्टॉक बनाना

सरकार प्याज को बाजार भाव पर खरीदेगी, ताकि त्योहारों के दौरान बढ़ती कीमतों को नियंत्रित किया जा सके. इस प्रक्रिया के तहत, नाफेड (Nafed) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी एजेंसियां खरीदारी करेंगी. इन एजेंसियों का उद्देश्य 0.3 मिलियन टन प्याज खरीदना है, जो तब बाजार में उतारा जाएगा, जब कीमतें ज्यादा बढ़ने लगेगीं.

कहां से होगी प्याज की खरीदारी

खरीदारी का मुख्य केंद्र महाराष्ट्र का नासिक होगा, जहां प्याज की पैदावार अधिक है. इसके अलावा पुणे, अहमदनगर और मध्य प्रदेश व गुजरात के कुछ जिलों से भी प्याज खरीदी जाएगी. 2024-25 के दौरान इन एजेंसियों ने औसतन 29 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज खरीदी थी.

प्याज की कम कीमतों से राहत

इस समय प्याज की कीमतें कम हैं, विशेषकर महाराष्ट्र के लासलगांव मंडी में. वहां पर प्याज की कीमत 10-12 रुपये प्रति किलो के आसपास है, जो पिछले साल की तुलना में 36 फीसदी कम है. इससे किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा और बाजार में भी स्थिरता बनी रहेगी.

किसानों के लिए राहत

किसानों को उचित मूल्य देने के लिए, सरकार ने सुनिश्चित किया है कि प्याज का खरीदी मूल्य मंडी भाव के हिसाब से हो. इससे किसानों को लाभ होगा और वे अपनी उपज को सही मूल्य पर बेच पाएंगे. 2024-25 में सरकार ने 0.47 मिलियन टन प्याज खरीदी थी, और उसे 35 रुपये प्रति किलो में बेचने का काम किया था.

उत्पादन में वृद्धि

कृषि मंत्रालय के अनुसार, रबी सीजन में प्याज का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 18 फीसदी अधिक हो सकता है, जिससे बाजार में प्याज की कीमतों पर दबाव कम होगा. इस साल के उत्पादन के अच्छे आंकड़े भारतीय बाजार के लिए राहत की बात हैं, खासकर जब अंतरराष्ट्रीय कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ रही थीं.