कश्मीरी चेरी ने की सरहद पार, पहली खेप पहुंची सऊदी और यूएई के बाजार में

बागवानी विभाग के अनुसार चेरी की और भी खेपों को जल्द ही विदेशों में भेजने की योजना है. इसके लिए कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स और निर्यात प्रक्रिया को और मजबूत किया जा रहा है. इससे घाटी के बागवानों को लंबे समय तक लाभ मिलने की संभावना है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 18 Jun, 2025 | 07:54 AM

कभी सिर्फ स्थानीय मंडियों तक सीमित रहने वाली कश्मीर की रसीली चेरी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने स्वाद का जादू बिखेरने निकल चुकी है. जम्मू-कश्मीर से कुल 24 टन प्रीमियम चेरी की पहली वाणिज्यिक खेप सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के लिए रवाना की गई है. इस कदम को सिर्फ एक निर्यात नहीं, बल्कि कश्मीरी बागवानों की मेहनत और उम्मीदों की वैश्विक उड़ान माना जा रहा है.

घाटी की मिठास पहुंची खाड़ी के बाजारों में

रियाद स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि किंगडम ऑफ सऊदी अरब में जम्मू-कश्मीर की प्रीमियम चेरी की पहली खेप पहुंच चुकी है और अब यह वहां के ग्राहकों के लिए लुलु सुपरमार्केट्स में उपलब्ध है. दूतावास की वाणिज्यिक टीम, काउंसलर (वाणिज्य) सुश्री मनुस्मृति के नेतृत्व में सुपरमार्केट पहुंची और इस खास उत्पाद का औपचारिक शुभारंभ किया.

लॉजिस्टिक्स का कमाल

इस खेप को विशेष योजना के तहत कश्मीर से ट्रकों द्वारा कटरा रेलवे स्टेशन लाया गया. फिर भारतीय रेलवे की पार्सल वैन के जरिए मुंबई के बांद्रा टर्मिनस तक पहुंचाया गया और वहां से इसे खाड़ी देशों के लिए रवाना किया गया. इससे न केवल ट्रांसपोर्ट की लागत घटी, बल्कि चेरी की ताजगी और गुणवत्ता भी बनी रही जो कि इस नाजुक फल के लिए बेहद जरूरी है.

किसानों के चेहरों पर मुस्कान

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस उपलब्धि को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए कहा, “कश्मीरी चेरी किसानों के लिए वैश्विक बाजार के दरवाजे खुल गए हैं, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा.” किसानों का कहना है कि यह पहल सिर्फ चेरी तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सेब, केसर और अखरोट जैसे कश्मीरी उत्पादों के लिए भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में रास्ते खोलेगी.

एपीडा और सरकार की साझा पहल

इस पूरी प्रक्रिया को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) और जम्मू-कश्मीर सरकार ने मिलकर अंजाम दिया है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल स्थानीय बागवानी को बढ़ावा देगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी.

बागवानी विभाग के अनुसार चेरी की और भी खेपों को जल्द ही विदेशों में भेजने की योजना है. इसके लिए कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स और निर्यात प्रक्रिया को और मजबूत किया जा रहा है. इससे घाटी के बागवानों को लंबे समय तक लाभ मिलने की संभावना है.

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Published: 18 Jun, 2025 | 07:51 AM

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