टमाटर की आवक में भारी गिरावट, फिर भी किसानों को नहीं मिल रहा रेट.. इतने रुपये क्रेट हुई कीमत

एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) के आंकड़ों के मुताबिक, इस सीजन में अब तक 1,34,365 क्रेट (करीब 32 लाख किलोग्राम) टमाटर की खरीद-बिक्री हुई है. एक क्रेट में 24 किलो टमाटर होता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 19 Jul, 2025 | 07:59 PM

Tomato Price: हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) में इस बार टमाटर कारोबार में भारी गिरावट देखने को मिली है. इससे व्यापारी के साथ-साथ किसान भी प्रभावित हुए हैं. किसानों को इस बार औसतन 2,100 रुपये प्रति क्रेट मिल रहे हैं, जबकि पिछले साल ये कीमत 2,500 रुपये प्रति क्रेट थी. खास बात यह है कि पिछले साल अधिकतम दाम 6,300 रुपये प्रति क्रेट तक पहुंचे थे, जबकि इस बार ये सिर्फ 3,800 रुपये के आस-पास हैं.  हालांकि किसानों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में व्यापार रफ्तार पकड़ेगा.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रीमियम टमाटर ‘हीमसोहणा’ की कीमत भी घटी है. इस बार 158 रुपये प्रति किलो है, जबकि पिछले साल ये 262 रुपये प्रति किलो बिका था. सोलन जिले में करीब 5,000 हेक्टेयर में टमाटर की खेती होती है, और यह यहां की मुख्य नकदी फसल है, जो बीते कुछ वर्षों से किसानों को अच्छा मुनाफा दिला रही थी.

टमाटर की आवक में भारी गिराट

एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) के आंकड़ों के मुताबिक, इस सीजन में अब तक 1,34,365 क्रेट (करीब 32 लाख किलोग्राम) टमाटर की खरीद-बिक्री हुई है. एक क्रेट में 24 किलो टमाटर होता है. टमाटर इस इलाके की मुख्य नकदी फसल है और इस साल व्यापार 9 जून से शुरू हुआ था. हालांकि, इस बार फसल की आवक काफी धीमी रही है. पिछले साल इसी समय तक 2,16,111 क्रेट (करीब 52 लाख किलो) टमाटर की खरीद-बिक्री हो चुकी थी. इस बार की आवक लगभग 62 फीसदी कम है. APMC अध्यक्ष रोशन ठाकुर ने कहा कि इस सीजन में व्यापार थोड़ा कमजोर जरूर है, लेकिन आने वाले दिनों में इसमें सुधार की उम्मीद है.

बरसात ने फसल की पैदावार प्रभावित किया

वहीं, किसानों का कहना है कि बुवाई के समय सूखा मौसम और बुवाई में देरी की वजह से इस बार फसल कमजोर रही. फिर भी उन्हें उम्मीद है कि कीमतें आगे चलकर बढ़ेंगी. वहीं, एक किसान ने कहा कि इस बार पहले तो सूखे मौसम की वजह से बुवाई में देरी हुई और अब बरसात ने फसल की पैदावार और मात्रा दोनों पर असर डाला है. फसल को पकने के लिए जितनी धूप चाहिए थी, वो नहीं मिल पाई. जून में जो ज्यादा बारिश हुई, उसने भी नुकसान किया. पहले मैं हर तीसरे दिन 60 से 70 किलो टमाटर तोड़ता था, अब मुश्किल से 30 से 35 किलो ही मिल रहे हैं.

 

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Published: 19 Jul, 2025 | 07:54 PM

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