भारत बना चीन का भरोसेमंद सप्लायर, फिर भी तेल खल निर्यात 2.4 फीसदी घटा, जानें क्यों?

उद्योग जगत की एक बड़ी मांग है कि सरकार डी-ऑयल्ड राइस ब्रान (चावल की भूसी से बना उत्पाद) पर लगी पाबंदी हटा दे. जुलाई 2023 से पहले भारत हर साल 5-6 लाख टन राइस ब्रान का निर्यात करता था, लेकिन सरकार ने चारे की कीमतें बढ़ने के कारण इसे रोक दिया. अब कीमतें कम हो गई हैं

नई दिल्ली | Published: 21 Aug, 2025 | 07:57 AM

भारत का कृषि कारोबार इस साल थोड़ा सुस्त नजर आ रहा है. तेलखली (Oilmeal) यानी सोयाबीन, सरसों और अरंडी की खली का निर्यात अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच 2.4 प्रतिशत घट गया. भारत ने इस दौरान कुल 15.16 लाख टन तेलखली निर्यात की, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा 15.54 लाख टन था. इसका बड़ा कारण इन तीनों उत्पादों की विदेशी मांग में कमी है. हालांकि चीन और अन्य देशों से बढ़ती डिमांड ने इस गिरावट को कुछ हद तक थाम भी लिया है.

सोयाबीन, सरसों और अरंडी की खली पर असर

सबसे ज्यादा गिरावट सोयाबीन और अरंडी की खली में दिखी. सोयाबीन मील का निर्यात घटकर 6.76 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 6.92 लाख टन था. अरंडी की खली भी 85 हजार टन रही, जो पिछले साल 1 लाख टन थी. सरसों की खली का निर्यात मामूली गिरकर 7.40 लाख टन रहा.

चीन बना भारत का सबसे बड़ा खरीदार

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस निर्यात मंदी के बीच चीन भारत के लिए नई उम्मीद बनकर उभरा है. SEA के निदेशक बीवी मेहता के मुताबिक, घरेलू स्तर पर सरसों तेल की मांग बढ़ने से सरसों खली का उत्पादन भी बढ़ा है. चीन ने इस बार अप्रैल-जुलाई 2025 में 2.77 लाख टन सरसों खली भारत से खरीदी, जबकि पिछले साल यह सिर्फ 12 हजार टन थी.

भारत की कीमतें भी चीन के लिए आकर्षक साबित हुईं. अगस्त के मध्य तक भारत से सरसों खली की कीमत 195 डॉलर प्रति टन रही, जबकि जर्मनी के हैम्बर्ग में यह 236 डॉलर थी.

राइस ब्रान निर्यात पर पाबंदी

उद्योग जगत की एक बड़ी मांग है कि सरकार डी-ऑयल्ड राइस ब्रान (चावल की भूसी से बना उत्पाद) पर लगी पाबंदी हटा दे. जुलाई 2023 से पहले भारत हर साल 5-6 लाख टन राइस ब्रान का निर्यात करता था, लेकिन सरकार ने चारे की कीमतें बढ़ने के कारण इसे रोक दिया. अब कीमतें कम हो गई हैं, इसलिए SEA चाहती है कि सितंबर 2025 के बाद पाबंदी को न बढ़ाया जाए.

कौन-कौन देश कर रहे हैं आयात

दक्षिण कोरिया ने इस साल 1.87 लाख टन तेलखली खरीदी, जो पिछले साल से कम है. चीन ने 2.83 लाख टन का आयात किया, जो पिछले साल की तुलना में कई गुना ज्यादा है. बांग्लादेश ने 1.47 लाख टन खरीदा, जबकि जर्मनी और फ्रांस ने भी बड़ी मात्रा में सोयाबीन मील का आयात किया.

खरीफ सीजन की स्थिति

खरीफ तेलबीज फसलों की बुवाई इस बार 178.64 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से थोड़ी कम है. मूंगफली, सोयाबीन और कपास की खेती का क्षेत्र घटा है. हालांकि अच्छी बारिश के कारण उम्मीद है कि उत्पादन पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा.